jindagi mere ghar ana


स्कूल से लौटा ही था, देखा मां नहीं है

बेफिक्र होकर बिना जूता, डे्रस उतारे लेट गया बिस्तर पर

टीवी भी देख ली, फ्रिज की आइस्क्रीम भी चट कर ली

समय बीता और बीतता गया, घंटे भर के अंदर बेचैनी बढऩे लगी

मां कहां गई, मेरी मां कहां गई

अनजाने डर से आंखों में आंसू भर आए थे

आंख खुली तो देखा डे्रस जींस में बदल चुकी थी

स्कूल के जूते स्पोट्र्स शूज हो चुके थे

सामने देखा दीवार पर मां की तस्वीर पर माला चढ़ी हुई थी



ऐ जिंदगी तुझे किस नजर से देखूं

हर एंगल से तू जिंदगी ही नजर आती है


हर पल जीने की सफलता छोड़

जाने कौन सी सफलता की तलाश में हूं


एक कदम और फिर देखो चली गई जिंदगी

या एक कदम और फिर देखो मिल गई जिंदगी

क्या भगवान, जिधर देखो तूने हर चीज पूरी बनाई है

एक पल जो मौत दिखती है, अगले पल वो ही जिंदगी लगती है

हर कदम ये सोच के आगे रखता हूं

कि दुनिया खत्म होगी मेरे आगे



खतरनाक घाटी में पुल बना लिया

दुनिया के सबसे बड़े जानवर को पालतू बना लिया

क्या-क्या न बनाया हम इंसान ने

बस एक चीज आज भी सालती रहती है

हम खुद को इंसान बनाए रखने में फेल क्यों हो जाते हैं




इस शेर को देखो,

शेरनी के आगे किसी भीगी बिल्ली से कम नहंी

और तुम दुनिया में गाते हो

जो मर्द है वो बीवी से नहीं डरता

Comments

मां कहां गई, मेरी मां कहां गई
आंख खुली तो देखा डे्रस जीन्स में बदल चुकी थी
स्कूल के जूते स्पोट्र्स शूज हो चुके थे...
रुला ही दिया आपने अजेन्द्र जी.
दिल से लिखना यही होता है कि दिल को छूकर आंखों को बेकाबू कर दे. वाह!
आप कहते हैं बड़ी साफ़ नज़रें हैं हमारी,
तो जो आपके ये कैप्शन दिखाते हैं, वो क्या है? काश ये बात मेरे जेहन में घर बना ले और मैं इसका, ये मेरी हो जाये.
Urmi said…
आपको और आपके परिवार को होली पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
Ajayendra Rajan said…
@babli apko bhi dilse shubhkamnayein...

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