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Showing posts from January, 2010

life is beautiful

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पहले मैं हाईस्कूल पास करने को मरता रहा कि कॉलेज में कब जाऊंगा फिर कॉलेज खत्म करने को मरता रहा कि नौकरी कब शुरू करूं बाद उसके मैं शादी और बच्चों की उम्मीद में मरता रहा सब कुछ मिला तो बच्चों के कॅरियर संवारने को मरता रहा फुर्सत मिली तो रिटायरमेंट के लिए मरता रहा आज मैं मर रहा हूं पर अचानक मुझे महसूस हुआ कि मैं तो जीना ही भूल गया पैसा बनाने के लिए हम अपनी सेहत खो देते हैं फिर सेहत बचाने के लिए पैसा खो देते हैं हम ऐसे जीते हैं कि कभी मरेंगे नहीं पर ऐसे मरते हैं कि कभी जिए ही नहीं

jeene do- jeene do

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सारी उम्र हम मर-मर के जी लिए इक पल तो अब हमें जीने दो- जीने दो Give me some Sunshine give me some rain Give me another chance wanna grow-up once again

different strokes

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तुम्हारे इन डरते हाथों की पकड़ से मेरे चप्पू थम से गए हैं नांव कि सैर से तुम घबराते हो, पता नहीं था कभी ऐसा करते किसी बडे को देखा है नहीं न, देखेंगे भी नहीं हमारे लिए तो ये pipeline फट गयी है, शिकायत करो जल्दी ठीक कराओ, सड़क ख़राब हो जाएगी, कितना पानी बर्बाद हो रहा है, क्या होगा इस देश का, क्यों सच कहा न!!! वो तो कमजोर था उसने कर लिया मैं तो मजबूत हूँ मैं तो कर ही लूँगा पर मुझे क्या पता था जिसे मैं उसकी कमजोरी मानता था वो उसकी काबिलियत निकली क्या अंतर है दोनों में? क्या कहा!!! एक इंसान है, दूसरा जानवर अच्चा अब बताओ!!! इंसान कौन है? उसे बर्तन का भी ख्याल है और बच्चे का भी, वो माँ है और दूसरी तरफ हमें नौकरी से ही फुर्सत नहीं, तभी तो हम बाप है

खुद से चलकर नहीं ये तर्ज-ए-सुखन आया है

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पाँव दाबे हैं उस्तादों के तो ये फन आया है

खुद से चलकर नहीं ये तर्ज-ए-सुखन आया है

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पाँव दाबे हैं उस्तादों के तो ये फन आया है

peace

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नमाजियों कि भीड़ में खड़ी इस हमले कि शिकार कार देख रहे हैं ये बता रहा है मेरे जज्बे को कि तुम एक सर कलम करोगे हम सैकड़ों सर झुका देंगे किसी के लिए धमाका तो किसी के लिए नज़ारा है ये और हम कहते हैं वो इंसान बहुत बुरा है क्या सोचा है कभी किसी के लिए वो अच्चा भी होगा तो फिर से गौर कर उन परिस्थितियों पे जिन्होंने उस इंसान को तेरी नज़र में बुरा बना दिया ये भी सही है कि इंसान हर किसी के लिए सिर्फ अच्चा नहीं हो सकता किसी झील में शाम को खींची गयी ये फोटो कितनी खूबसूरत है दिनभर से एक मछली नहीं पकड़ सका हूँ शाम ढलने को है, आज की रात फिर भूखी होगी तमन्ना फिर बदल जाये अगर तुम, मिलने आ जाओ ये मौसम भी बदल जाये, अगर तुम मिलने आ जाओ

darkness

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बादल इतराते है कि धक् ही लिया सूरज को मैंने और सूरज है कि हार मानने को तैयार नहीं बुरे पल में भी वो रौशनी देना नहीं भूलता देखो! फिर से सूरज कि चमक दिखने लगी है फिर से बादल का दौर ख़त्म हो रहा है हर कदम पे सोचता हूँ थक गया हूँ मैं पर मूढ़ के देखता हूँ कहा से निकल के आ गया हूँ मैं अब तो रौशनी करीब है और थक गया हूँ मैं! 'तो उठ जाग मुसाफिर भोर भ यी जो सोवत है सो खोवत है' दो कदम तुम भी चढो दो कदम मैं भी चढ़ूँ मंजिलें रात कि मुश्किल नहीं दूर नहीं... बड़ी कोशिश कि ख़त्म करने कि लेकिन कमबख्त ख़त्म नहीं होती ये 'मैं' मेरे अन्दर से पर 'मैं' भी 'मैं' हूँ, इलाज देख ही लिया 'मैंने' ...कि हर साँस के साथ जो थोडा और करीब खिसक जाता हूँ कभी तो मिलेगी 'मेरे' हिस्से कि मौत