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Showing posts from May, 2015

हां, कुछ फोटो फ्रेम भी बचे हैं,

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वो गारा वो पत्‍थर याद है तुम्‍हें  कभी मिलके हमने जोड़ा था  आशियाना बनाया था  वो तस्‍वीर याद है तुम्‍हें  बड़ी खुशी से खिंचवाई थी हमने  वो घड़ी जो  उस साल मेले से खरीद के लाई थी  आज भी टंगी है, मगर रुक गई है  अब भी उसमें वही समय बज रहा है  जब कहर बरपा था हम पर   तुम चली गईं, सब बिखर गया हां, कुछ फोटो फ्रेम भी बचे हैं,  मगर खाली-खाली से बिखरे-बिखरे से। 

तुम न झेल सकीं और अब हम कैसे झेलें

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हर दर्द, हर थपेड़े साथ झेलते चले आ रहे थे  कुछ तुम झेलती, कुछ हम झेलते  बस यूं ही जिये जा रहे थे  कि एक दिन कुदरत का कुछ यूं बरपा कहर तुम न झेल सकीं और जिंदगी छोड़ गईं  अब हम कैसे झेलें, जिंदगी को कैसे छोड़ें।  

हिट एंड रन केस: कुत्‍ता, सड़क, गरीब, बाप और अभिजीत

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(गायक अभिजीत भट्टाचार्य: कुत्ता सड़क पर सोएगा, कुत्ते की मौत मरेगा. रोड ग़रीब के बाप की नहीं है.) बिलकुल सही अभिजीत जी, रोड किसी गरीब के बाप की नहीं है। सच तो ये है जिंदगी ही गरीब को नहीं मिलनी चाहिए। कहां से आ जाते हैं, कमबख्‍त बेवजह आपके चमकदार शहरों को गंदा करने। उनको तो आपके गाने सुनने का भी हक नहीं क्‍योंकि वो तो आप अमीरों के लिए ही बनाते हैं, वो अलग बात है कि कहीं भी सीडी आादि पर मैं पढ़ नहीं पाता बस कि ये सिर्फ अमीरों के लिए है। आपने सच कहा एक साल आपने भुखमरी में गुजार ा लेकिन सड़क पर नहीं सोए क्‍योंकि तब टेक्निकली शायद आपको पता था कि रोड आपके बाप की नहीं है। एक वाकया याद आया, अखबार की मीटिंग कुछ शहर के व्‍यापारियों से चल रही थी, उनमें से एक व्‍यापारी ने सवाल उठाया कि साहब हम गरीबों के खिलाफ नहीं हैं लेकिन आप ही बताइए जिस जगह हजारों रुपए प्रति स्‍क्‍वाॅयर फि‍ट खर्च कर हम दुकान बनाते हैं, उसमें लाखों का माल लगाते हैं, उसी दुकान के आगे एक खोमचे वाला ऐसे ही खड़ा हो जाता है, जब उसे हटाया जाता है तो वोटबैंक की राजनीति शुरू हो जाती है। कुल मिलाकर हम व्‍यापारी ही पिसते है। इधर स

सलमान को जेल- हम तो खुश हैं माइलॉर्ड, पर क्‍या आप हैं?

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आज हम आपके निर्णय से खुश हैं।  लेकिन सोचिएगा 13 साल लग गए आपको।   दोषी को दोषी साबित करने में,   आपने कॅरियर का करीब आधा हिस्‍सा गंवा दिया।   कभी सा‍ेचिएगा उन रूहों के बारे में,   जो 13 साल आपके कोर्ट रूम में प्रोसीडिंग जीती रहीं।   आज हम आपके निर्णय से खुश हैं,   लेकिन सोचिएगा दिल पर हाथ रखकर,   जब आपने इस निष्‍कर्ष पर पहुंचने में 13 साल लगा दिए, तो मामला अभी आपकी ऊपरी अदालत में जाना है,   उनके पास आपसे ज्‍यादा अधिकार हैं,   वो आपके निर्णय को उलट भी सकते हैं।   पर हम आज आपके निर्णय से खुश हैं, क्‍योंकि हम तो जनता हैं,   जो मिलता है, चाहे जब मिलता है, उसी में खुश हो लेते हैं। ये भी नहीं देखते कि इसमें फायदा हुआ या नुकसान।   पर आपका क्‍या?   सच बताइए आप खुश हैं क्‍या?   क्‍योंकि आप तो माइ लॉर्ड हैं।   हम जनता की तरह बेवकूफ नहीं।  ‪#‎ SalmanVerdict‬