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Showing posts from July, 2014

इंसानों के कानून में थोड़ा जंगल का कानून मिलाते हैं

नेलसन मंडेला ने कहा था कि उन्होंने जीवन के 27 साल कैद में गंवा दिए लेकिन फि‍र भी वह इसके लिए जिम्मेदार सभी लोगों को माफ करते हैं। अगर वे माफ कर सकते हैं तो उनकी जनता को भी माफ करना होगा। मंडेला की बात यहां मैं सिर्फ इसलिए रख रहा हूं क्‍योंकि उनकी महान लड़ाई अश्वेेतों को आजादी दिलाने के लिए थी, उन्हें सम्मान दिलाने के लिए थी। वहां दुश्‍मन सामने दिखाई दे रहा था, उसके अत्‍याचार सामने दिख रहे थे, आपको  पता था कि ये गोरों ने किया है। लेकिन ऐसे समाज में मंडेला क्‍या निर्णय लेते, जिसमें नस्‍लभेद की कोई बात ही नहीं, यहां किसी भी लड़की को उठाओ और चीर डालो। आज जिस तरह चारों तरफ हमारे भारत में बलात्कार की वीभत्स और भयावह घटनाएं सामने आ रही हैं, जिसमें इज्ज‍त लूटने के बाद दरिंदगी का ऐसा नंगा नाच हो रहा है कि जानवर भी देखे तो सिहर जाए। ऐसे समाज को सुधारने के लिए क्या मंडेला और गांधीजी की माफी, शांति से काम चलेगा? देश के सबसे बड़ी आबादी वाले उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ऐसी ही घटना कल देखने को मिली। यकीन मानिए मुझे लगा कि वह महिला मेरे ही परिवार का अंग थी और ऐसे दरिंदों को खुद सजा देने की की भावना

कहीं न कहीं तानाशाही रवैये की बू आती है!

पुच्‍चू- और भाई क्‍या हाल है, आज बड़ा गमगीन से लग रहे, सब ठीक तो है। चुन्‍नू- नहीं भाई सब ठीक है, बस एक खबर में परेशान कर दिया है, बिहार के समस्‍तीपुर में एक युवक की आपसी रंजिश में कुछ लोगों ने जानवरों जैसा बर्ताव करते हुए उसे चाकुओं से गोद डाला, यही नहीं उसके चेहरे का मांस उतार लिया और दोनों आंखें फोड़ डालीं। ये क्‍या है, यार खबर पढ़कर दिल तड़प सा गया। पुच्‍चू- जाने दो यार, ये हमारे समाज की ऐसी बुराई है जिसे दूर करना असंभव है, हम इंसान कब जानवर बन जाएं कुछ पता है क्‍या। चुन्‍नू- उन लोगों ने ये भी नहीं सोचा कि उस युवक से जुड़ा हर सदस्‍य आज प्रतिशोध की भावना में जी रहा होगा, उसकी तो जिंदगी बर्बाद हो ही गई। हम पुलिस को दोष जरूर दे देंगे लेकिन सच ये है कि हम जानवर ही हैं। कोई सरकार या कोई पुलिस इसे नहीं रोक सकती। कभी-कभी तो लगता है कि तानाशाही देश में आ जाए तो ही बेहतर। पुच्‍चू- वो तो आती दिख रही है भाई। चुन्‍नू- अमां, कहां आ रही है। पुच्‍चू- बोलने से पहले मैं ये जरूर बता दूं कि मैं किसी भी दल विशेष से संबंध नहीं रखता, नहीं तो खाली-पीली तुम मुझ पर पिल पड़ोगे। पुच्‍चू- मैं दरअसल बात