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Showing posts from June, 2011

हर पल को तो ऑनलाइन कर रहा हूं मैं

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हर पल को तो ऑनलाइन कर रहा हूं मैं खत लिखता था, ईमेल कर रहा हूं मैं रेडियो पर गाने सुनता था कभी यूट्यूब पर लाइव मजे ले रहा हूं मैं किराए के वीसीआर की वो रातें खत्म हुईं टोरेंट से ही मूवी देख ले रहा हूं मैं ऑनलाइन की और क्या कहानी सुनाऊं तुम्हें सुबह का अखबार भी वहीं पढ़ रहा हूं मैं तुम कहती हो प्यार नहीं करता तुमसे देखो कितनों को फेसबुक पर दिल बांट रहा हूं मैं एक तुम्हीं तो थी जो समझती थी मुझे अपने ब्लॉग पर भी ये दु:ख बांट रहा हूं मैं कहती हो, मुझे कुछ महसूस नहीं होता क्या इसके बिना ही जिंदगी ऑनलाइन कर रहा हूं मैं

wah kya rang hain

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जिंदगी में रोज चलते-फिरते  न जाने कितने सूक्ष्म जीवों को हम मसल देते हैं हम कभी घर साफ करने के लिए मकड़ी को बर्बादी देते हैं तो कभी सफाई के नाम पर कीड़े, चीटियों की जिंदगी में कोहराम मचाते हैं उनका दर्द शायद हम सुन नहीं पाते या शायद समझ ही नहीं पाते ये भी तो कुछ ऐसा ही है उस अनजान औलौकिक शक्ति ने शायद घर (पृथ्वी) में नए रंग घोलने की सोची होगी तभी तो उसके ज्वालामुखी रूपी ब्रश ने हमारी जिंदगी में कोहराम मचा दिया है  उम्मीद है वो हमारा दर्द सुन रहा है, समझता भी होगा. 

तो कुछ प्यारा सा लगे

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तेरे हर जुल्म को सोचकर हर सितम को महसूस कर ये फूल कब्र पे बोने की कोशिश है कि शायद तू अगली बार मिले  तो कुछ प्यारा सा लगे

चकल्लस- काला धन, रामदेव, संघ और सरकार

बिंदास- क्यों भाई फोन क्यों नहीं उठाते.  रोडी- अरे क्या उठाएं, वही अपने डॉक्टर साहब हैं.  बिंदास- कौन? रोडी- अरे वो हैं नहीं, पैथॉलॉजी की दुकान भी खोले हैं और ज्ञान भी बहुत पेलते हैं. एक मिनट के लिए बैठो, दुनिया भर का ज्ञान बाल्टी भर-भर के उड़ेलने लगते हैं. अफनाहट होने लगती है, इतने ज्ञान से. उन्हीं का फोन है, उठा लिया तो समझो अपनी शाम हुई.  बिंदास- अरे उठा लो, नहीं तो वैसे भी यहां क्या उखाड़ोगे. कम से कम फोन ही सुन लो, कुछ काम तो करोगे.  रोडी- लेओ तुम्ही पकड़ो, झेलो इन्हें, बहुत खुजली हो रही है न.  बिंदास- अबे खुजली से याद आया, आजकल दुनिया भर को खुजली हो गई है. जिसे देखो भ्रष्टाचार-भ्रष्टाचार खुजला रहा है. रोडी- हाहाहा शुरू हुए तुम.  बिंदास- अबे सुनो तो, पिछले महीने याद नहीं है, अन्ना चाचा कैसी गदर मचाइन था. साला लगा कि इंडिया भी मिस्त्र बन जाएगा. नेहरू की तरह गांधी बने मंच पर ऐसे बैठे थे अन्ना, कि दुनिया साफ करके ही रिलैक्स होएंगे. कांग्रेस ने ऐसा निपटाया कि अन्ना की आंधी कब सुहानी हवा बनी और गुम हो गई, पता ही नहीं चला. अब उनके सिपहसालारों पर का