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show must go on

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ehsas!

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सौगात खुशियों की मेरी चौखट पर आई है

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सौगात खुशियों की मेरी चौखट पर आई है हां मेरे घर एक प्यारी सी बेटी आई है सितारे रंज में है देखकर नूर उसका बनकर मेहताब वह मेरे घर आई है सुना करते थे मां से फलक पर परिया होती है हकीकत तब लगी जब वह मेरे सामने आई है वह इज्जत है मेरे घर की चरागा है जमाने का वह 'जहरा' है, यह नाम मेरी इज्जत अफजाई है निगाहें हटती ही नहीं उसके चेहरे से 'अब्बास' बनकर आईना वह मेरे घर पर आई है....

kuch idhar ki kuch udhar ki

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देर से गूँजतें हैं सन्नाटे जैसे हम को पुकारता है कोई...गुलज़ार  अब पर्वत बर्फ़ानी मत लिख अब नदिया में पानी मत लिख राज मगरमच्छ अब करते हैं मछली जल की रानी मत लिख काम-तृप्ति प्यार हुआ अब मीरा प्रेम दीवानी मत लिख इस पीढ़ी की एक ही ज़िद है इक भी बात पुरानी मत लिख भीगी हुई आँखों का ये मंज़र न मिलेगा घर छोड़ के मत जाओ कहीं घर न मिलेगा फिर याद बहुत आयेगी ज़ुल्फ़ों की घनी शाम जब धूप में साया कोई सर पर न मिलेगा रोज़ मेरे सीने पे लहरें नाबालिग़ बच्चों के जैसे कुछ-कुछ लिखी रहती हैं।

dooba dooba rehta hoon

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बडे लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना जहां दरिया समन्दर में मिले, दरिया नहीं रहता

raat abhi baaki hai

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खूबसूरत चाहे जितना भी दिखें पर ये भी सच है कि  शेर कभी पालतू नहीं होते जीने कि उमंग, मस्ती की तरंग  बेफिक्र अंदाज क्योंकि मै आजाद हूँ आज आजादी कि खुशबू मिलते ही झूम उठा है ये घोडा  और हम है कि मिली आजादी को  kabhi काम के नाम पे, कभी आराम के नाम पे कभी हक के नाम पे, तो कभी बदले के नाम पे  कहीं खोते जा रहे हैं...  आजाद होने का सिर्फ नाटक करते जा रहे हैं एक पुराना मौसम लौटा याद भरी तन्हाई भी  ऐसा तो कम ही होता है  वो भी हो तन्हाई भी  हम बेखुदी में तुम को पुकारे चले गए  सारे वो जिंदगी के सहारे चले गए 

ankahii

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जिंदगी का कौन सा मोड़ लूं कि  दुश्वारियां न मिलें, ये सोच सही है या जिंदगी के हर मोड़ की दुश्वारियों से बचना सीख लूं ये सोच सही है? दर्द जितना होगा सुकून भी उतना ही मिलेगा इसीलिए डर भी जितना होगा मजा भी उतना ही आएगा कैमरे से पिक्चर तो खूब खीची होगी न जाने दुनिया कि कौन कौन सी तस्वीर खींची होगी पर क्या दो दुनिया कि तस्वीर खींच सके हो नहीं न, इस तस्वीर में यही तो है शायद!!! घोड़ों का एक साथ मिलकर पानी पीना  कितना खूबसूरत लग रहा है सोचो तुम घर में ऐसे ही खाना खाते दिखो तो कैसा हो!!! न बंगला, न गाड़ी, न कोई सुख,  न ही सुविधा पर फिर भी देखो, हम ऐश कर रहे हैं  बोलो की है तुमने कभी ऐसी ही ऐश!!! नेचर से इतना प्यार करता है इंसान कि पूरी जिंदगी नेचर को मिटाने में लगा देता है सच ही तो कह रहा हूँ... नहीं है यकीन तो जरा इस डोल्फिन को देखो  हाथों में कैमरा बांधे   सीटी  बजते ही पानी से उछल पड़ती है  लोग तालियाँ बजाते हैं और कहते हैं वाह क्या नेचर है!!!  

life is still beautiful

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मैं सिर्फ तुझे तब तक पालूंगा जब तक तू अपने पैरों पर खड़ा न हो जाए उसके बाद तेरे रास्ते अलग और मेरे अलग मैं शेर हूं, कोई इंसान नहीं जो औलाद को जिंदगी भर मर-मर के पाले फिर वही औलाद बाद में पूछे आपने मेरे लिए क्या किया? ------------------------------------------------------  परिवार क्या होता है, मुझे परिवार से कोई मतलब नहीं ये संबंध क्या चीज हैं, मुझे किसी संबंध की जरूरत नहीं अरे, जिस संबंध को ये  जानवर भी समझते हैं समझ में नहीं आता उसे समझने में तुम्हें क्यों दिक्कत  आ रही है   सोचो मौत के किनारे खड़े होने में इतना लुत्फ है तो मौत में कितना होगा फिर भी क्यों हम जिंदगी भर मौत से डरते रहते हैं

moods & moments

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He is able who thinks he is able- Budha मेरी समझदारी ने मेरी जिंदगी कैसी बना डाली है कि  अब तो पानी में भीगने से डर लगता है, भीग गया तो बीमारी का डर सताता है कीचड तो देखकर  नफरत होती है वो भी क्या दिन थे, जब समझदानी थोड़ी छोटी थी और कीचड में लोट-लोट कर  मस्ती आती थी जिस बारिश का  मजा आज मैं घर में दुबककर चाय पकोडिय़ों में खोजता हूं तब तो सिर्फ घर से निकलते ही सड़क पे  मजा आ जाता था All things are artificial, for nature is the art of God.  बताओ हमारा हीरो कौन वो जो रोज कुछ न कुछ बेचता फिरता है  या वो जो थोड़ा सा खरीद के जिंदगी के मजे ले रहा है  ये पिता अपने बेटे के  पास नहीं बैठ सकता पर उसी के बेटे के पैरों तले बैठा है इसी को परिवार कहते हैं असल से ज्यादा सूद का लालच इंसान में होता है ये पिता भी तो कुछ ऐसा ही करता दिख रहा है बेटे यानी असल की  चिंता नहीं वो तो बस सूद यानी पोते के साथ रहना चाहता है है कोई पश्चिमी देश ऐसा, जहां ऐसा होता है और तुम कहते हो, वो ज्यादा एडवांस हैं!!!\     अगर परिस्थिति आपके अनुकूल हो तो आप भी लाजवाब साबित हो सकते हैं सूखे हुए इस पेड़ पर देखो कितनी जिंद

wo fir nahi aatey...

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मौत के पंजों कि खरोंच डिब्बों पे देखके अब सहन नहीं होता हे भगवन!  इससे बेहतर तो तू सबको दिल का दौरा से मार देता कोई मिटाने पे तुला है खुद को तो कोई बचाने पे तुला है खुद को कौन जीतेगा? जवाब सिर्फ वक़्त देगा तब तक ये खेल चलता रहेगा, चलता रहेगा न कुछ समझ में आता है न कुछ दिल चाहता है ये क्या हो गया पिछली रात को हुआ था एक्सिडेंट अब फिर रात होने को है चारों तरफ पसरी मौत को रौशनी करके देख रहा हूँ कहते है रौशनी जिंदगी लाती है कम्बक्त ये लंप पोस्ट सिर्फ मौत को ही उजाला बाँट रहा है देख ही तो सकता हूँ, कोस ही तो सकता हूँ कर कुछ नहीं सकता मौत तू इतनी बेदर्द क्यों है? जिंदगी लेनी ही है न तुझे सिर्फ इसके लिए तू कुछ भी कर गुजर सकती है फिर,  तुझमें और हम इंसानों में भला फर्क क्या रह गया हम भी तो जिंदगी भर जिंदगी बचाने के लिए कुछ भी कर गुजरते हैं... एक-एक पल बटोरकर जिंदगी बनाने कि कोशिश कर रही थी एक-एक ख्वाब सजाकर चलने की कोशिश कर रही थी अचानक उस रात रास्ते में सैलाब आ गया  और जिंदगी मसलती चली गयी देखो! अभी भी बाकी है मेरे पैरों के निशान (सभी फोटो- अतुल हूँडू)

manjiley apni jagah hai...rastey apni jagah

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मंजिले अपनी जगह है रास्ते अपनी जगह मैं भी तो देखूं तुम्हारी दूरबीन से कैसा दिखता है जहाँ, अरे, इससे तो इंसान गाजर-मूली दिख रहा है  अब समझ में आया तुम्हारी बेरहमी का राज! बड़ी कोशिश की तेरे शहर को मिटाने की लेकिन हर कदम के साथ नए निशान बनाता चला गया खाक में मिले घर के बाहर भी चैन की नींद ले लेता हूँ और तुम हो की गुलिस्तान में भी करवटे बदलते रात गुजरते हो खुद को बचाने की कोशिश है ये! खुद को बचाने की कोशिश है ये! अमां छोड़ो! खुद को मिटाने की कोशिश है ये अपने ही बनाये हथियार को खुद पर ही चलाता हूँ फिर खुद को ही हराकर जश्न मनाता हूँ मैं इंसान हूँ कोई मजाक बात है!!! इस अजनबी से शहर में जाना पहचाना ढूँढता है  आशियाना ढूंढता है