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Showing posts from February, 2015

अरर्रा के टंटाप पड़ेगा तो सारा राष्‍ट्र यहीं दिखेगा

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चचा चौरंगी- ऐ केतली हियां आओ जरा।  केतली- नमस्‍कार चचा, कैसे हैं आप।   चचा चौरंगी- यू बताअो, का बवंडर मचाए हो।   केतली- कुछ न हीं चचा, क्‍या हुआ।   चचा चौरंगी- एक चिलम रही, ससुरे महंगी किए जा रहे हो, पुल्‍ली अपना समोसा महंगा कर दिहिस है।   केतली- अरे चचा, राष्‍ट्र के लिए थोड़ा सा तो बढ़ाया है देखिएगा हमारा विश्‍व में नाम होगा। चचा चौरंगी- अरर्रा के टंटाप पड़ेगा तो सारा राष्‍ट्र यहीं दिखेगा, पूरे कश्‍मीर के साथ। मुएं, खिलाएं पिलाएं हम और बातें करत हो कोठियों वालों की। 70 साल के हैं, हवाईजहाज बातें हमसे न कीन करो। जाओ लौंडन का समझाओ। चाची से कहते जाना, जरा चाय बना दें। अप्रैल के बाद तो उहै से काम चलाए क पड़ी। बताओ समोसा महंगा कर दिहिस।

जेटली की केटली में यूं उबली चाय

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जेटली की केटली में यूं उबली चाय,  यूं उबली चाय कि मानो दिहिन बस पिलाय , दिहिन बस पिलाय की लल्‍ला कप पे कपड़ा मारो, कप पे कपड़ा मारो तो जरा नमकीन भी निकालो , नमकीन न मिले तो छन्‍नी ही पकड़ाओ,  तनिक तेजी से हाथ चलाओ मियां कि यूं उबली चाय ,  यूं उबली चाय कि कहीं देर न होइ जाए देर न होइ जाए कहत संझा आय गई जेटली की केटली में यूं उबली चाय।    - अजयेंद्र

मोदी, नीतीश और लालू, कमाल है, क्‍या कॉकटेल है पार्टी में

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मोदी- मित्र आप बेवजह ही हैरान परेशान हो गए, मुझसे एक बार बात कर ली होती तो मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफा न देना पड़ता।  नीतीश- सही कह रहे हैं आप, मांझी ने बहुत रुलाया।  लालू- अरे का रुलाया, मजे से आप सरकारी बंगले में लेटे रहते थे, अब देखो दू-दू बंगला भकोस लिये हैं। मुख्‍यमंत्री वाला और पूर्व मुख्‍यमंत्री वाला।   नीतीश- हां, तो दोनों ही तो हैं न हम। देखिए मोदी जी समझा लीजिए लालूजी को। मजा ले रहे हैं।  मोदी- अरे जाने दीजिए, न चुनाव के, न वोट के, लालू कुछ नहीं बिना सपोर्ट के।   लालू- सुन रहा हूं मैं, रो जाएंगे आप, आने दो चुनाव, बताएंगे कौन है बाप।  ऐ फोटुआ खींच लिया रे, अब देखो का, का लिखेंगे ई पत्रकार लोग। 

जिंदगी क्‍या है रीजनिंग से कम नहीं मियां

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जिंदगी क्‍या है रीजनिंग से कम नहीं मियां,  आज जो अटल सत्‍य है, कल व़ही पक्‍का झूठ है मियां।   एक नेता ही हैं जो बिना किसी सच-झूठ में फंसे राज करते हैं मियां,   वरना हम तो बस सच-झूठ के फेर में वोट ही डालते हैं मियां। - अजयेंद्र

मैं पीएम इन वेटिंग, ये पीएम, वो पीएम इन वेटिंग, फि‍र ये पीएम

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लालू- मोदी जी आ रहे हैं, बिठाएंगे कहां।  मुलायम- अए पान मंती जी हैं, हमाए साथ ही बैठेंगे औ का।  लालू- ऊ तो ठीक है, देखिएगा ज्‍यादा चिपक न जाएं, पॉलिटिकल सुसाइड हो जाएगा।  मुलायम- ऐ क्‍या लालू जी, रानीति में कोए दोत या दुश्‍मन नहीं होता। आप तो अपने समर्थकों जैसी बात करने लगे।  लालू- हां ऊ तो ठीक है। वैसे भी हमको तो चुनाव अब लडना नहीं है। और आप भी तो-- मुलायम- ऐ ऐसे मौकों पर शुभ-शुभ बोलिए लालू जी। हम 2019 की तैयारी में लगे हैं।  लालू- तो पीएम बैठेंगे, दो पीएम इन वेटिंग के साथ। हाहाहाहा  मुलायम- जादा न खेलिए, तिलक है, बरात नहीं आएगी।  लालू- आप तो बुरै मान गए।

नीतीश कुमार, एक साल, पीएम इन वेटिंग से सीएम इन वेटिंग तक

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अजयेंद्र शुक्‍ला  पहले नीति की दुहाई देते हुए मोदी के नाम पर भाजपा से अलग हुए क्‍योंकि उनका दावा था कि मोदी साम्‍प्रदायिक नेता है। वो अलग बात है कि आडवाणी जिनका गुणगान नीतीश जी करते हैं, इतिहास में मोदी से कहीं ज्‍यादा साम्‍प्रदायिक होने के आरोप उन पर लगे। बहरहाल, लोकसभा चुनाव हुए और लगातार दो बार से बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को परिणामों ने यूं झटका दिया कि पार्टी दो सीटों पर सिमट गई। मोदी लहर थी या और कुछ और पता नहीं लेकिन पार्टी के इस प्रदर्शन से नीतीश आहत से दिखे। एक बार फि‍र उन्‍होंने नीति की दुहाई दी और अकेले ही मुख्‍यमंत्री पद का परित्‍याग करने का निर्णय ले लिया।  कारण बताया कि जनता ने हमें नकार दिया है और इस स्थिति में मैं मुख्‍यमंत्री पद पर नहीं रह सकता। अचानक से उन्‍होंने बिना किसी की राय मशविरा किए अनजाने से नाम जीतन राम मांझी को मुख्‍यमंत्री बना दिया। उनके चयन के पीछे हर जगह उनके महादलित होने को ही आधार माना गया। साथ ही खबरें आईं कि वो नीतीश के येस मैन हैं। नीतीश कुमार ने कभी इस बात का खंडन नहीं किया। जाहिर है खंडन नहीं आया तो खबरें सच ही मानी जाती हैं। उधर