कहीं न कहीं तानाशाही रवैये की बू आती है!

पुच्‍चू- और भाई क्‍या हाल है, आज बड़ा गमगीन से लग रहे, सब ठीक तो है।
चुन्‍नू- नहीं भाई सब ठीक है, बस एक खबर में परेशान कर दिया है, बिहार के समस्‍तीपुर में एक युवक की आपसी रंजिश में कुछ लोगों ने जानवरों जैसा बर्ताव करते हुए उसे चाकुओं से गोद डाला, यही नहीं उसके चेहरे का मांस उतार लिया और दोनों आंखें फोड़ डालीं। ये क्‍या है, यार खबर पढ़कर दिल तड़प सा गया।
पुच्‍चू- जाने दो यार, ये हमारे समाज की ऐसी बुराई है जिसे दूर करना असंभव है, हम इंसान कब जानवर बन जाएं कुछ पता है क्‍या।
चुन्‍नू- उन लोगों ने ये भी नहीं सोचा कि उस युवक से जुड़ा हर सदस्‍य आज प्रतिशोध की भावना में जी रहा होगा, उसकी तो जिंदगी बर्बाद हो ही गई। हम पुलिस को दोष जरूर दे देंगे लेकिन सच ये है कि हम जानवर ही हैं। कोई सरकार या कोई पुलिस इसे नहीं रोक सकती। कभी-कभी तो लगता है कि तानाशाही देश में आ जाए तो ही बेहतर।
पुच्‍चू- वो तो आती दिख रही है भाई।
चुन्‍नू- अमां, कहां आ रही है।
पुच्‍चू- बोलने से पहले मैं ये जरूर बता दूं कि मैं किसी भी दल विशेष से संबंध नहीं रखता, नहीं तो खाली-पीली तुम मुझ पर पिल पड़ोगे।
पुच्‍चू- मैं दरअसल बात नरेंद्र मोदी सरकार की कर रहा हूं। तानाशाही की तरफ बढ़ते उसके कदम देखिए, हो सकत है मेरा आंकलन गलत हो, लेकिन है तो है। देखते ही देखते भाजपा और संघ पर पूरा कब्‍जा जमा लिया है। आडवाणी की तो ऐसी स्थिति कर दी है कि वे कैसे सोते, जीते होंगे, वही जानें। राजनाथ सिंह काबिल बन रहे थे, धीरे-धीरे से होम मिनिस्टरी का लॉलीपॉप थमाया और ठाकुर साब लार टपकाए कूद पड़े राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष की कुर्सी से। मोदी की चाल काम कर गयी और ठाकुर साहब को अपने अंडर में लेकर चहेते अमित शाह को यूपी की सफलता का श्रेय देते हुए राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष बनवा दिया। मेरा सवाल ये है कि अगर यूपी की सफलता अमित शाह ने दिलाई तो अन्‍य राज्‍यों की सफलता भी वहां के प्रभाारियों ने दिलाई होगी, तो तकनीकी तौर पर मोदी फैक्‍टर था ही नहीं। और अगर था तो अमित शाह कैसे काबिल हुए। उधर शिवराज सिंह चौहान पार्टी में दूसरा उभरता चेहरा दिख रहे थे, उन्‍हें आडवाणी का करीबी भी माना जाता था, संघ में भी उनकी काफी इज्‍जत थी, बस धीरे से व्‍यापम घोटाला हवा में आ गया। गुरु मानो या न मानो ये शिवराज पर नकेल कसने के लिए मोदी का ही गेम प्‍लान है।
चुन्‍नू- तानाशाही की बात कर रहे थे तुम।
पुच्‍चू- वही कर भी रहा हूं। राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष बनने के बाद अमित शाह गुजरात पहुंचे और अहमदाबाद में पार्टी के नेताओं के सामने बयान दिया कि अब भाजपा और मोदी युग की शुरुआत हुई है।  इस बात का हम क्‍य अर्थ निकालें, मतलब देश की बात करने के पीछे अपना युग शुरू करने की चालाकी है। फि‍र अपने पसंदीदा अफसर को प्रधानमंत्री कार्यालय में बिठाने के लिए आपने संसद में अध्‍यादेश ही ला दिया। और तो और पार्टी के सांसदों को व्हिप जारी कर दिया। यानी जो इंसान एक छोटे सी बात के लिए पूरी ताकत झोंक सकता है, उसमें कहीं न कहीं तानाशाही रवैये की बू आती है। वह इंसान अपने काम को सफल बनाने के लिए किसी भी स्‍तर पर उतर सकता है। गुरू मानो या न मानो ये वाकई मोदी युग की शुरुआत है, और देखना पांच साल अच्‍छे दिन जरूर आएंगे लेकिन सिर्फ मोदी एंड कंपनी के, और किसी के नहीं। ये गुणोत्‍तर रफ़तार से अपनी ताकत बढ़ायेगा। देश में विपक्ष नाम की चीज वैसे ही तकनीकी तौर नहीं बची है, जो बचे हैं, उन्‍हें ये देखना धीरे-धीरे सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्‍स और तरह-तरह के कांग्रेसजनित हथकंडों से निपटाता जाएगा।
चुन्‍नू- अमां बजट में तो इसने सभी को साथ लेकर चलने की बात रखी है।
पुच्‍चू- सभी को चूरन देकर साथ लेकर चलना तो हमें भी आता है गुरू, बात तो तब ह‍ै जब कुछ विशेष करके दिखाओ, और ज्‍यादा बोलने वाले ज्‍यादा कुछ कर नहीं पाते। जैसे हम और तुम।

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