इंसानों के कानून में थोड़ा जंगल का कानून मिलाते हैं

नेलसन मंडेला ने कहा था कि उन्होंने जीवन के 27 साल कैद में गंवा दिए लेकिन फि‍र भी वह इसके लिए जिम्मेदार सभी लोगों को माफ करते हैं। अगर वे माफ कर सकते हैं तो उनकी जनता को भी माफ करना होगा। मंडेला की बात यहां मैं सिर्फ इसलिए रख रहा हूं क्‍योंकि उनकी महान लड़ाई अश्वेेतों को आजादी दिलाने के लिए थी, उन्हें सम्मान दिलाने के लिए थी। वहां दुश्‍मन सामने दिखाई दे रहा था, उसके अत्‍याचार सामने दिख रहे थे, आपको पता था कि ये गोरों ने किया है। लेकिन ऐसे समाज में मंडेला क्‍या निर्णय लेते, जिसमें नस्‍लभेद की कोई बात ही नहीं, यहां किसी भी लड़की को उठाओ और चीर डालो।
आज जिस तरह चारों तरफ हमारे भारत में बलात्कार की वीभत्स और भयावह घटनाएं सामने आ रही हैं, जिसमें इज्ज‍त लूटने के बाद दरिंदगी का ऐसा नंगा नाच हो रहा है कि जानवर भी देखे तो सिहर जाए। ऐसे समाज को सुधारने के लिए क्या मंडेला और गांधीजी की माफी, शांति से काम चलेगा?
देश के सबसे बड़ी आबादी वाले उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ऐसी ही घटना कल देखने को मिली। यकीन मानिए मुझे लगा कि वह महिला मेरे ही परिवार का अंग थी और ऐसे दरिंदों को खुद सजा देने की की भावना मेरे अंतर्मन को झकझोर रही है। बस, इसे लेकर अपनी ही लिखी कविता आपके सामने रख रहा हूं, शायद मेरी भावना आप तक पहुंच सके।
चलो फिर से नया देश बनाते हैं
इक ऐसा कानून बनाते हैं,
जिसमें थोड़ा कम दिमाग लगाते हैं
चलो फिर से नया देश बनाते हैं
चोरी की सजा को हाथ काटना बनाते हैं
हत्यारों, बलात्कारियों को फौरन फांसी पर चढ़ाते हैं
चलो फिर से नया देश बनाते हैं
हम एक-दो नहीं दर्जनों गलत फैसले सुना जाएं
पर एक भी अपराधी बचने न पाए
इंसानों के कानून में थोड़ा जंगल का कानून मिलाते हैं
चलो फिर से नया देश बनाते हैं
- अजयेंद्र राजन

Comments

Popular posts from this blog

jeene ki wajah to koi nahi, marne ka bahana dhoondta hai

क्यों हमें दूसरों से प्यार की कमी लगती है?

dakar rally