मरने वाले का इतना तो हक है कि उसके 'अपने' अंतिम यात्रा में शामिल हों!!!
कई घंटे बीत गए, शव ऐसे ही पड़ा रहा. सोनू हिम्मत करके पहुंचा और स्थिति देखी तो उससे रहा न गया. उसने शव वाहन से संपर्क किया.
श्मशान 3 किलोमीटर दूर था. लेकिन शव वाहन वाले ने कहा 25 हजार रुपए में शव ले जाऊंगा.
जिस शख्स की मौत हुई थी, वो सोनू का ही ठेला लगाता
था. सोनू को पता था कि परिवार के पास इतना पैसा नहीं होगा.
आखिरकार सोनू ने
हाथ में ग्लब्स पहने, मुंह पर मास्क लगाया और भगवान का नाम लेकर उसने अकेले ही शव को ठेले पर रखा
और घ्रंटे भर के अंदर श्मशान पहुंच गया. यहां उसने उसकी अंत्येष्टि
कराई. इसके बाद वह घर लौट आया. उसने ध्यान
देने की कोशिश की लेकिन उसे कोई दिक्कत महसूस नहीं हुई. पूरी
रात वह सोचता रहा. वह खुद से ही बुदबुदा रहा था… यार.., उसने तो शव उठाया, श्मशान
तक पहुंचाया. वहां कई शवों के बीच वह काफी देर खड़ा भी रहा.
कुछ लोगों से बात भी की तो भी उसे कोरोना नहीं हुआ.
बस ये सोचते ही
सोनू की आंखें उम्मीद से चमक उठीं, वह सुबह का इंतजार करता रहा. जैसे ही सुबह
हुई, सोनू मुंह पर कसकर गमछा लपेटकर पूरा शरीर अच्छी तरह ढ़ककर
ठेला लेकर निकल पड़ा. कुछ ही दूर गया था, एक शव घर के बाहर दिखा. समस्या वही थी, घरवालों के पास इतना पैसा नहीं था कि शव श्मशान तक पहुंचा पाते. सोनू ने शव उठाया और ठेले पर लिटा दिया. परिवारवाले बोले-
भइया आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, आप कितना पैसा लोगे? उसने कहा- पैसा तो मैं नहीं लेता. हां, एक
शर्त है. इस पर परिजन बोले- शर्त?
कैसी शर्त? सोनू ने कहा कि शर्त ये है कि मास्क
पहनो और चलो इस शव की अंतिम यात्रा में. ये जो भी है,
इतना हक तो रखता है कि उसके परिवार वाले उसकी अंतिम यात्रा में तो शामिल
हों.
परिजन बोले- भइया कौन नहीं जाना चाहता लेकिन
आप तो जानते ही हैं कोरोना है. इनकी मौत भी इसी से ही हुई है.
हमें कुछ हो गया तो बच्चों का क्या होगा?
सोनू ने सख्त लहजे
में कहा कि तो आप मुझे किस मुंह से मुझे धन्यवाद दे रहे थे? क्या ये धन्यवाद इसलिए था कि मेरी
समस्या तुमने हल कर दी, अब जाओ तुम भी मर जाओ.
सोनू रुका नहीं
था, वह कहने लगा…
आपके पास तो दो बच्चे हैं पालने को और आप इस तरह डर रहे हैं,
मेरी सोचिए मेरे पास कुल 8 परिवार हैं पालने को.
हम रोज कमाते, रोज खाते हैं. लॉकडाउन के कारण जीना मुहाल है. फिर भी आपके इस सदस्य
को श्मशान पहुंचा रहे हैं. हम आपसे कम पढ़े होंगे लेकिन इतना
पता है और पूरी सुरक्षा से निकले हैं. दो-दो मास्क पहने हैं. अरे कोरोना है तो बचने के रास्ते
भी तो हैं. पूरे बचाव के साथ चलिए. कुछ
नहीं होगा. सोनू की बात से परिवार के सदस्य प्रभावित हुए.
कई दिनों के बाद
श्मशान में ये पहला शव पहुंचा था, जिसको कंधा देने के लिए लोगों की कमी नहीं थी.
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