kaisi hai ye jindgani
टनों भारी व्हेल पर कितनी है शांत
यहां 80 किलो वजन, पर रंगबाजी देखिए
पानी में डूबा है कम्बख्त
पर जंगलीपना नहीं भूला, जानवर कहीं का
हमें देखो, जरा सी सफलता मिलते ही
इंसानियत भुला देते हैं.
आज उसकी मौत पर गमी कर रहा है ये कबूतर
कल कोई नया मिलेगा, उसी के साथ हो लेगा
किसी को उसका ये कदम गलत लगता होगा
पर जिंदगी का तो उसूल ही यही है
हम तो मरने के बाद भी खुद को बचाए रखना चाहते हैं
कोई इस जानवर से सीखे
जिंदगी भर परिवार का पेट भरा
आज मर गया तो भी बेगानों का भर रहा है
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