jhonka hawa ka...


वो अकेला ही चढ़ता जा रहा है
उन पैरों के निशान साथ लिए
जो उससे पहले यहां से गुजरे थे
देख उसे बस यही लगता है
'माना कि दुनिया मुझसे आगे है
पर कभी तो मिलेगी मेरे हिस्से की मंजिल
उस मंजिल पे पहुंचना ही क्या मेरे लिए
किसी जीत से कम होगा'

इंसान क्या नहीं कर सकता
देखो, मेरी सड़क, मेरी कार, मेरा पुल और मेरा हैलीकॉप्टर
वाह, क्या नजारा है
इस पहाड़ी पर शायद ही कोई पहुंच पाता
ये तो हम इंसान हैं, जिन्होंने यहां भी पहाड़ तराश कर रास्ता निकाल ही लिया
खुदा की बनाई इस तस्वीर में इंसान का कितना-कुछ है
पर...इंसान किसने बनाया!!!

बेचारों ने तुम्हारी सड़क पर क्या कदम रखा
तुमने उन्हें कैमरे में कैद कर लिया
काश उनके पास भी कैमरा होता
काश उनके पास भी इंटरनेट होता
तो बताते कैसे तुमने उनकी जिंदगी तबाह कर डाली है

ताकत होती तो मैं भी एक नया जहां बनाता
इंसानों को जानवर बना देता
और जानवरों को इंसान
फिर देखता जानवर बड़े या इंसान

न जाने कितने सिर हैं यहां
न जाने कितने ख्वाब हैं यहां
हर कोई अपनी ही दुनिया में है खोया
जिसे देखो खुद से लड़ते हुए सांसे ले रहा है
पर किसी को याद ही नहीं
चाहे वो कुछ भी कर लें
रहेंगे बस भीड़ का हिस्सा

Comments

वाह वाह वाह !! क्या बात है .. दिन बना दिया साहब आपने ..... समयाभाव के कारण मैं ज्यादा ब्लोग्स नहीं देख पाता, और रोज़ भी नहीं ... लेकिन जब भी आया ... अब ये ब्लॉग ज़रूर देखूँगा .. इस में मेरा ही फायदा है ...........
वाह बहुत खूब शुभकामनायें

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