tak dhinadin




किसे फिक्र है यहां इस गंदे पानी की

किसे फिक्र है यहां इस बदबू देती भैंस की

मेरे लिए तो ये भैंस किसी नाव से कम नहीं

जिस पे लेटकर मैं आसमान से तारे तोडऩे के ख्वाब बुन रहा हूं





रोशनी गर खुदा को हो मंजूर

आंधियों में भी चराग जलते हैं

इस दौड़ को तो मुझे जीतना ही है

जीत से मेरे आंगन में खुशियां आएंगीं

महीने भर का अनाज मिलेगा

बताओ अनाज मिलने से बढ़कर भी

कोई खुशी है क्या दुनिया में

मैं तो ये दौड़ जीत के ही रहूंगा

Comments

Popular posts from this blog

jeene ki wajah to koi nahi, marne ka bahana dhoondta hai

ankahii

dakar rally