nazar nazar me haaledil ka pata chalta hai

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तुम मर गए लेकिन एक दास्ताँ कह गए
ये वीराने बताते है कि हरे होते तो जिन्दा होते
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चुल्लू से जिंदगी संजोने कि कोशिश कर रहा हूँ 
सारी उँगलियाँ जोड़ के रखी हैं 
कमबख्त फिर भी सरकती जा रही है  
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जिस इंसान ने मुझे इतने जख्म दिए
चुन-चुन के हमले किये
लहुलुहान पीठ लिए उसी इंसान के पैरों में बिछी  हूँ
मैं धरती हूँ इंसान नहीं, जो बदले लेती फिरूं
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मासूमियत कि कोई शक्ल नहीं होती
काश हम इसे जानवर कि औलाद  न समझते   
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मेरे चेहरे पे एक मुस्कान देखने को 
माँ रोज न जाने कितने जतन करती होगी  
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जिंदगी में मुझे एक मील दौड़ना है या हज़ार मील
ये तो वक़्त ही बताएगा  
पर उसके लिए पहला कदम तो मुझे बढ़ाना ही होगा
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Comments

इन तस्वीरों को आपके भावभीने शब्दों नें संजीव बना दिया । तस्वीरें बोलती हैं या फ़िर शब्द जो भी हो बहुत आकर्षक और भावुक है ...सीमा सचदेव
तस्वीरें बोलती हैं....बहुत सुन्दर कलेक्शन है

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