अपनी आंखों के समंदर में उतर जाने दो!!!



क्लास के बैक बेंचर्स में से एक
हर टीचर से मस्ती करने में तेज
पढ़ाकू स्टूडेंट्स पे जमी थी अपनी धाक
नाम नोट करे, मॉनीटर की क्या औकात
इंटरवल में गेंद ताड़ी से कईयों के गेंद चिपकाई
कोई ऐसा नहीं, जिसकी कलम न हो निपटाई
हर पल तो जीतता था मैं
हर पल का सिकंदर था मैं
कहां गए वो दिन, क्यों गए वो दिन


बंदिशों को तोड़ फेंकने की हसरत जाग चुकी है
जिंदगी को जीने की तलब जाग चुकी है
कह दो उन हुक्मरानों से रोक सकें तो रोक लें
हमने भी मौत से गुफ्तगू करने की आदत डाल ली है



कभी किसी के घर में दिया नहीं जलाया
कभी किसी की जिंदगी रौशन नहीं की
अब याद आया तो मन को बहला रहा हूं
इन बर्फ से बने घरौंदों को रौशन कर रहा हूं



Comments

बहुत सुन्दर आनंद आ गया बधाई अच्छी रचना के लिए...

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