जर्मनी का ये 'हिटलर' है, मोदी का दीवाना!




http://scroll.in/article/734263/germanys-pegida-anti-islamisation-group-says-it-has-a-new-hero-narinder-modi


ये खबर स्‍क्रॉल डॉट इन की खबर का हिन्‍दी अनुवाद है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेशों में फैन्‍स की संख्‍या में तेजी से इजाफा होता दिखाई दे रहा है। इन नए प्रशंसकों में जर्मनी की पेजिदा भी शामिल हो गई है। पेजिदा दरअसल पैट्रि‍यॉटिक यूरोपियन अगेंस्‍ट इस्‍लामाइजेशन ऑफ द वेस्‍ट ग्रुप का जर्मन लघु नाम है। ये संगठन पिछले साल ही बना है। इसी साल जनवरी में इस संगठन शार्ली हेब्‍दो नरसंहार के खिलाफ जर्मनी में एक बड़ा प्रदर्शन किया, इस प्रदर्शन में 25 हजार से ज्‍यादा लोगां ने हिस्‍सा लिया, इनकी मांग थी कि जर्मनी में मुस्लिम अप्रवास पर रोक लगे। इस प्रदर्शन के बाद से ही ये संगठन ने दुनिया में अपनी पहचान बना ली। पेजीदा को देखते हुए जर्मनी के अन्‍य हिस्‍सों में भी मी-टू ग्रुप बनने लगे, जैसे लीपजिग में लेजिदा, बॉन में बोजिदा, फ्रैंकफर्ट में फ्रेजिदा और अमेरिका, कनाडा और यूके में भी इससे जुड़े ग्रुप सामने आने लगे हैं। ये हर सोमवार ड्रेसडेन में लगातार सड़क पर प्रदर्शन कर अपनी उपस्थिति का एहसास करा रहे हैं।
पिछले सोमवार को ड्रेसडेन में रैली के दौरान स्‍क्रॉल डॉट इन ने पेजीदा के दो प्रमुख नेताओं का इंटरव्‍यू किया तो ये भारत के प्रधानमंत्री की काफी सराहना करते दिखे। पेजीदा के प्रमुख और संस्‍थापक लुट्ज बैचमैन ने कहा कि हमें यहां जर्मनी में उनके जैसे नेता की जरूरत है। वैसे पेजीदा के इस संस्‍थापक को जनवरी में ही संगठन उस समय छोड़ना पड़ गया था, जब उनकी एडॉल्‍फ हिटलर जैसी खिंचवाई गई एक तस्‍वीर वायरल हो गई थी लेकिन महीने भर बाद उन्‍होंने संगठन दोबारा ज्‍वाइन कर लिया। उनके साथ तातयाना फेस्‍टरलिंग कहती हैं कि जर्मनी में ही नहीं, बल्कि पूरे यूरोप में हमें इस्‍ला‍मीकरण के खिलाफ खड़ा करने वाले हिम्‍मती नेता चाहिए।
पता चला कि फेस्‍टरलिंग एक योग अभ्‍यासी हैं और ये भारत का दौरा करती रहती हैं। वे कहती हैं कि मैं जानती हूं कि आप अपने देश में काफी समस्‍याओं से जूझ रहे हैं, चाहे आप किसी भी हिस्‍से में रहते हों। उसी तरह से हमें भी इन लोगों (मुस्लिमों) से काफी परेशानी उठानी पड़ रही है।   
वे कहती हैं कि हम अपनी संस्‍कृति को खोने के खिलाफ आवाज उठा रहे है। उत्‍तरी यूरोपीय संस्‍कृति धीरे-धीरे नष्‍ट हो रही है। हमारे यहां चारों तरफ मस्जिदें ही हैं। दिन में पांच बार अजान दी जाती है। कुछ शहरों में तो आप पूरी तरह से समानांतर समाज देखेंगे। उनके यहां समन्‍वय की कोई अवधारणा ही नहीं है।
7 जून को ड्रेसडेन में हुए मेयर के चुनाव में फेस्‍टरलिंग को करीब 10 प्रतिशत वोट हासिल हुए। एक तरफ आलोचक पेजिदा के आन्‍दोलन को धीरे-धीरे खत्‍म होता मान रहे थे, लेकिन फे‍स्‍टरलिंग के इस प्रदर्शन ने पेजीदा में जान फूंक दी है। बैचमैन और फेस्‍टरलिंग दोनों ही जोश से भरे हुए दिख रहे हैं और उन्‍हें विश्‍वास है कि उनका सिर्फ ड्रेसडेन ही नहीं बल्कि जर्मनी के अन्‍य शहरों में भी राजनीतिक भविष्‍य है। बैचमैन उम्‍मीद जताते हैं कि अगले एक या दो साल में पेजिदा एक मजबूत राजनीतिक पार्टी के तौर पर उभरेगी।
ड्रेसडेन के ऐतिहासिक पैलेस स्‍क्‍वॉयर पर मूसलाधार बारिश के बीच भी सोमवार की रैली में करीब 1500 से ज्‍यादा समर्थक दिखाई दिए। इनमें बूढ़े, व्‍हीलचेयर पर आए लोग, दफ्तर जाने वाले, टैटू और पियर्सिंग किए हुए युवा जर्मन शामिल थे। यही नहीं रैली में आसपास के देश से भी कई लोग शामिल हुए।
एक क्षेत्रीय अखबार साचशिशे जेइटंग के वरिष्‍ठ पत्रकार एलेक्‍जेंडर श्‍नाइडर ने कहा कि ये सही है कि रैली में लगातार लोगों की संख्‍या कम होती दिख रही है लेकिन ये प्रदर्शन अब ड्रेसडेन में एक साप्‍ताहिक आयोजन बन चुका है। लेकिन ये भी सही है कि ये आन्‍दोलन अपने आप अपना जोश खोता जा रहा है।
पेजीदा पर रिसर्च करने वाली टीम का हिस्‍सा रहे ड्रेसडेन टेक्निकल यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर हांस वोरलैंडर कहते हैं कि इस ग्रुप की अब राजनीतिक उद्देश्‍य ज्‍यादा है। इनकी भीड़ भी अब स्‍पोर्ट्स क्‍लब के सदस्‍यों या बीयर पार्टी के मौजियों से भरी है। वहीं अगर सिटी के चुनावों की बात करें तो इसमें पेजिदा को जो बढ़त मिली, उसका मतलब सिर्फ ये नहीं है कि लोग पेजिदा की सोच से प्रभावित हैं, बल्कि ये भी है कि वर्तमान में जो सिस्‍टम है, लोग उससे निराश हैं। वोरलैंडर कहते हैं कि दरअसल ये एक ऐसा खेल बन चुका है, जो बिना किसी लक्ष्‍य, अंत या योजना के खेला जा रहा है और आखिरकार एक समय ये खत्‍म हो ही जाएगा।
वोरलैंडर के अनुसार पेजिदा के फेल होने का सबसे बड़ा कारण ये है कि जर्मनी की सिविल सोसायटी काफी मजबूत‍ है। जब से पेजिदा के प्रदर्शन शुरू हुए हैं, जर्मनी लगातार देश भर में इनके विरोधी प्रदर्शनों का साक्षी रहा है। अन्‍य देशों की तुलना में जर्मनी में पेजिदा एक स्थिर राजनीतिक पार्टी या आन्‍दोलन के रूप में व्‍यवस्थित नहीं है। इसलिए इतिहास गवाह है कि सिविल सोसायटी की मजबूती और कुछ मुद्दों पर वर्जन के कुछ सामाजिक तंत्र इसे सफल नहीं होने देंगे। क्‍योंकि ये वर्जन नाजीवाद के जमाने से मिली ऐतिहासिक सीखों पर आधारित हैं।
इसी बीच बैचमैन इस आन्‍दोलन की रफ्तार तेज करने के लिए कई रणनीति बना रहे हैं, जो उनके अनुसार इस्‍लाम विरोधी नहीं इस्‍लामीकरण के विरोध में है। वे ड्रेसडेन की रैलियों में दूसरे देशों के दक्षिण पंथी नेताओं को आमंत्रित कर रहे हैं। नीदरलैंड के दक्षिणपंथी नेता गीर्ट वाइल्‍डर्स, पिछली 14 अप्रैल को इस प्रदर्शन में हिस्‍सा ले चुके हैं।
फेस्‍टरलिंग कहते हैं कि हम भारतीय नेताओं के भी संपर्क में हैं। बैचमैन की दिली इच्‍छा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके आयोजन में शामिल हों, वह कहते हैं कि उनसे कहिएगा हमने उन्‍हें ड्रेसडेन में आमंत्रित किया है। 

http://scroll.in/article/734263/germanys-pegida-anti-islamisation-group-says-it-has-a-new-hero-narinder-modi


Comments

Popular posts from this blog

jeene ki wajah to koi nahi, marne ka bahana dhoondta hai

Golden age of Indian mathematics was inspired by Babylon and Greece: Amartya Sen