हर पल को तो ऑनलाइन कर रहा हूं मैं
हर पल को तो ऑनलाइन कर रहा हूं मैं
खत लिखता था, ईमेल कर रहा हूं मैं
रेडियो पर गाने सुनता था कभी
यूट्यूब पर लाइव मजे ले रहा हूं मैं
किराए के वीसीआर की वो रातें खत्म हुईं
टोरेंट से ही मूवी देख ले रहा हूं मैं
ऑनलाइन की और क्या कहानी सुनाऊं तुम्हें
सुबह का अखबार भी वहीं पढ़ रहा हूं मैं
तुम कहती हो प्यार नहीं करता तुमसे
देखो कितनों को फेसबुक पर दिल बांट रहा हूं मैं
एक तुम्हीं तो थी जो समझती थी मुझे
अपने ब्लॉग पर भी ये दु:ख बांट रहा हूं मैं
कहती हो, मुझे कुछ महसूस नहीं होता
क्या इसके बिना ही जिंदगी ऑनलाइन कर रहा हूं मैं
Comments
देखो कितनों को फेसबुक पर दिल बांट रहा हूं मैं
एक तुम्हीं तो थी जो समझती थी मुझे
अपने ब्लॉग पर भी ये दु:ख बांट रहा हूं मैं
कहती हो, मुझे कुछ महसूस नहीं होता
क्या इसके बिना ही जिंदगी ऑनलाइन कर रहा हूं मैं
He bhagwaan!!...ise kya kaha jaye!!!!