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Showing posts from November, 2009

nature

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क्या बात है, क्या तस्वीर है, जैसे किसी ने अनार जलाया हो दूर से कितना खूबसूरत है ये ज्वालामुखी जरा उनसे पूछो जो इसके पड़ोसी हैं इसलिए किसी ने सही कहा है दूर से खूबसूरत दिखने वाली चीज खतरनाक भी हो सकती है किसी की सफलता पे हाय तौबा मचाने वाले जरा सोच जब तू सुकून से जिंदगी के लुत्फ़ ले रहा था वो आंधियों से घिरा एक एक कदम घिसट के तये कर रहा था ये खींचने वाले की निगाहें है जिसने इस तैरते भालू को खूबसूरत तस्वीर में बदल दिया और उस तस्वीर में सूरज की चमक से श्रृंगार कर दिया वरना किसे पता नही ये दुनिया का सबसे खतरनाक जानवर है जब ये फोतोग्रफेर ऐसा कर सकता है तो तुम्हे क्या दिक्कत है तुम्हारे घर में तो कोई खतरनाक नही वह तो सब प्यार के ही भूखे है खूबसूरत झील, झील में घर, घर के बहार परी ये कुर्सी, वह क्या नज़ारा है पर, जरा तस्वीर को गौर से देखें, कुछ कमी नज़र आई क्या?? सिर्फ़ एक इंसान यहाँ होता तो क्या बात होती तस्वीर कुछ और ही बयां करती इंसान की कमी से एक तस्वीर की जान चली गई और तुम कहते हो मेरे घर में किसी की जरूरत ही नही

पानी-पानी रे, नयनों में भर जा

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इस गहरी पानी के नीचे गुफा में आने के लिए उन्होंने कितना जोखिम लिया जरा सी चूक और जान बह जाएगी पानी में अरे इसी का नाम तो जिंदगी है जितना ज्यादा रिस्क उतना ज्यादा मज़ा, क्यों है न!!! किसी को लहर दिख रही है, किसी को बोट मुझे तो बस यही दिख रहा है की ख़ुद पे विश्वास हो तो इस उफनाते समुद्र से भी मज़ा लेकर गुजरा जा सकता है कौन कहता है बर्फ पे चलना कठिन है भाई को देखो चढ़ता चला जा रहा है उसको तैरना आता है पर फ़िर भी वो पानी के उपर से छलांग लगा रहा है इसलिए कहता हूँ हर बात पे काबिलियत नही दिखानी चाहिए कभी-कभी ख़ुद को बचाना भी जरूरी होता है जो मौत लगते हैं तुझे , जिन्हे अपने से ज्यादा काबिल मानता है तू, जरा उनके kareeb जा के देख उनके भी तुम्हारी ही तरह aansu aatey होंगे

moments

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के मर जाऊं मैं, के लुट जाऊं मैं मिले जो तेरा साथ तो बहता चला जाऊं मैं खूबसूरती इंसान में नही देखने वाले की निगाहों में होती है बाकि सब सपने होते हैं अपने तो अपने होते हैं पता नही ये दोल्फिंस लड़ रही हैं या एन्जॉय कर रही हैं लेकिन इन्हे एकसाथ देखकर अच्छा लग रहा है अपने कुटुंब में रहने वालों को देखना अच्छा ही लगता है एक तमन्ना दिल की है रौशनी कभी तो मिलेगी जी भरके शिकायत तो आज भी नही कर सकता हूँ पर रौशनी कभी तो मिलेगी जी भर के ऐसी जीत भी किस काम की के साथ में एन्जॉय करने वाला कोई न हो

देर न हो जाए कही देर न हो जाए!!!

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वो कहते है मैंने इतना किया उसके लिए और उसी ने मुझे धोखा दे दिया एक न एक दिन उसे सबक सिखा के रहूँगा पर ये पेड़ क्या सोचते होंगे आँखों के सामने जिन्होंने काटा उनके बंधुओं को उन्ही को रहत भरी ठंडी छांव दे रहे है ये अपनी धुन में इतना बेंदाज़ हुआ मैं की अब छांव ढूंढता हूँ लंप पोस्ट के नीचे मेरे पिता ने जो बनवाई थी वो दीवार वहीँ है मेरे बेटे ने जो सजायी थी क्यारी भी वहीँ है नही है तो बस उस पेड़ की वो छांव जहाँ कभी घर से गुस्सा के मैं सोया करता

अकेले हैं तो क्या गम है!!!

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उसने तो बनाया है जहाँ तेरे लिए तू ही दीवारों में रहना चाहे तो वो क्या करे जो दीखता है वो होता नही दूर से तो हर चीज़ आसान और दिलकश नज़र आती है जिंदगी किसे पसंद नही पर हर जिंदगी में कसर रह ही जाती है वो कहते है ये हो नही सकता मैं कहता हूँ क्या कदम बढाया तुमने