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Showing posts from June, 2010

ankahii

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जिंदगी का कौन सा मोड़ लूं कि  दुश्वारियां न मिलें, ये सोच सही है या जिंदगी के हर मोड़ की दुश्वारियों से बचना सीख लूं ये सोच सही है? दर्द जितना होगा सुकून भी उतना ही मिलेगा इसीलिए डर भी जितना होगा मजा भी उतना ही आएगा कैमरे से पिक्चर तो खूब खीची होगी न जाने दुनिया कि कौन कौन सी तस्वीर खींची होगी पर क्या दो दुनिया कि तस्वीर खींच सके हो नहीं न, इस तस्वीर में यही तो है शायद!!! घोड़ों का एक साथ मिलकर पानी पीना  कितना खूबसूरत लग रहा है सोचो तुम घर में ऐसे ही खाना खाते दिखो तो कैसा हो!!! न बंगला, न गाड़ी, न कोई सुख,  न ही सुविधा पर फिर भी देखो, हम ऐश कर रहे हैं  बोलो की है तुमने कभी ऐसी ही ऐश!!! नेचर से इतना प्यार करता है इंसान कि पूरी जिंदगी नेचर को मिटाने में लगा देता है सच ही तो कह रहा हूँ... नहीं है यकीन तो जरा इस डोल्फिन को देखो  हाथों में कैमरा बांधे   सीटी  बजते ही पानी से उछल पड़ती है  लोग तालियाँ बजाते हैं और कहते हैं वाह क्या नेचर है!!!  ...

life is still beautiful

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मैं सिर्फ तुझे तब तक पालूंगा जब तक तू अपने पैरों पर खड़ा न हो जाए उसके बाद तेरे रास्ते अलग और मेरे अलग मैं शेर हूं, कोई इंसान नहीं जो औलाद को जिंदगी भर मर-मर के पाले फिर वही औलाद बाद में पूछे आपने मेरे लिए क्या किया? ------------------------------------------------------  परिवार क्या होता है, मुझे परिवार से कोई मतलब नहीं ये संबंध क्या चीज हैं, मुझे किसी संबंध की जरूरत नहीं अरे, जिस संबंध को ये  जानवर भी समझते हैं समझ में नहीं आता उसे समझने में तुम्हें क्यों दिक्कत  आ रही है   सोचो मौत के किनारे खड़े होने में इतना लुत्फ है तो मौत में कितना होगा फिर भी क्यों हम जिंदगी भर मौत से डरते रहते हैं

moods & moments

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He is able who thinks he is able- Budha मेरी समझदारी ने मेरी जिंदगी कैसी बना डाली है कि  अब तो पानी में भीगने से डर लगता है, भीग गया तो बीमारी का डर सताता है कीचड तो देखकर  नफरत होती है वो भी क्या दिन थे, जब समझदानी थोड़ी छोटी थी और कीचड में लोट-लोट कर  मस्ती आती थी जिस बारिश का  मजा आज मैं घर में दुबककर चाय पकोडिय़ों में खोजता हूं तब तो सिर्फ घर से निकलते ही सड़क पे  मजा आ जाता था All things are artificial, for nature is the art of God.  बताओ हमारा हीरो कौन वो जो रोज कुछ न कुछ बेचता फिरता है  या वो जो थोड़ा सा खरीद के जिंदगी के मजे ले रहा है  ये पिता अपने बेटे के  पास नहीं बैठ सकता पर उसी के बेटे के पैरों तले बैठा है इसी को परिवार कहते हैं असल से ज्यादा सूद का लालच इंसान में होता है ये पिता भी तो कुछ ऐसा ही करता दिख रहा है बेटे यानी असल की  चिंता नहीं वो तो बस सूद यानी पोते के साथ रहना चाहता है है कोई पश्चिमी देश ऐसा, जह...

wo fir nahi aatey...

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मौत के पंजों कि खरोंच डिब्बों पे देखके अब सहन नहीं होता हे भगवन!  इससे बेहतर तो तू सबको दिल का दौरा से मार देता कोई मिटाने पे तुला है खुद को तो कोई बचाने पे तुला है खुद को कौन जीतेगा? जवाब सिर्फ वक़्त देगा तब तक ये खेल चलता रहेगा, चलता रहेगा न कुछ समझ में आता है न कुछ दिल चाहता है ये क्या हो गया पिछली रात को हुआ था एक्सिडेंट अब फिर रात होने को है चारों तरफ पसरी मौत को रौशनी करके देख रहा हूँ कहते है रौशनी जिंदगी लाती है कम्बक्त ये लंप पोस्ट सिर्फ मौत को ही उजाला बाँट रहा है देख ही तो सकता हूँ, कोस ही तो सकता हूँ कर कुछ नहीं सकता मौत तू इतनी बेदर्द क्यों है? जिंदगी लेनी ही है न तुझे सिर्फ इसके लिए तू कुछ भी कर गुजर सकती है फिर,  तुझमें और हम इंसानों में भला फर्क क्या रह गया हम भी तो जिंदगी भर जिंदगी बचाने के लिए कुछ भी कर गुजरते हैं... एक-एक पल बटोरकर जिंदगी बनाने कि कोशिश कर रही थी एक-एक ख्वाब सजाकर चलने की कोशिश कर रही थी अचानक उस रात रास्ते में सैलाब आ गया  और जिंदगी मसलती चली गयी देखो! अभी भी बाकी है मेरे पैरों के निशान (सभी फोटो- अतुल हूँडू)