do pal miltey hain...


डर किसे नहीं लगता पर बेफिक्री से तैर रहा हूँ 
मुझे पता है खुदा देख रहा है मुझे


बर्फ से ढके इस समंदर को
चीर के रास्ता बना ले रहे हैं 
और तुम कहते हो समंदर का दिल
कोई चीर ही नहीं सकता


बीच समंदर में घर भी बना लिया
परिवार भी बसा लिया
आने दो सैलाब को देख लेंगे
ज्यादा बड़ा हुआ तो
किनारे तक  तैर लेंगे  
जिंदगी तू भी कितनी अजीब है
मेरा पास तू है ये मेरा नसीब है

Comments

दिलीप said…
bahut sundar tasveerein aur bahut sundar khayal...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/

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