ye kaha aa gaye hum

खुद को मिटने कि तय्यारी कर रहे हो
देखना अपनों पे गोलियां बरसाने में 
कही हौसला कमजोर न पर जाये 

घर से मस्जिद है बहुत दूर
चलो यूं कर लें
किसी रोते ही बच्चे को हसाया जाये

दुश्मनी चाहे जितनी हो पर इतनी गुंजाईश रखना
हम कभी दोस्त हो जायें तो गिला न रहे
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लहू का दरिया बहा दिया 
आओ दोस्त थोड़ा घूम आया जाये
पढाई कि मांग कर रहे हो बेटा
पता है स्कूल में मुर्गा बनाया जाता है
छड़ी पड़ती है और रोने पे मम्मी भी नहीं आती
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बड़ी-बड़ी बातें बंद करो
जमीन पे उतरो
अब तो सुधर जाओ देखो
अब तो अपनी मांग लिए
बच्चे भी उतर गए सड़क पे
तुम्ही ने खड़ा किया था
तुम्ही मिटा रहे हो
आखिर खुद को खुदा समझने कि गलती
तुम भी कर बैठे

कम्बल कि ओट लिए ये बच्चा देख रहा है
उसके दोस्तों कि मौत के बाद
बंदूकें उसपे तनने वाली है

खुद के बनाये बम से बचना सीख नहीं सके
और कहते हो कायनात बदल डालूँगा
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तुम्ही ने बनाये ये मौत के कारखाने
आज बरस पडे तो भाग खडे हुए 

मेरे चेहरे को मासूमियत कि शक्ल न दे
अपने माँ-बाप कि लाश दफना के लौटा हूँ
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कन्धों पे स्कूल बैग न सही
चलो पंचर कि दुकान ही खोल ली जाये  

Comments

Shekhar Kumawat said…
kaha se khoje itne sare photo



shakher kumawta


kavyawani.blogspot.com/
कहाँ मिलती है ये नजर,
हर शब्द करता है एक असर...

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