ये santro कैसे मिलेगी?
अभी हाल ही में राजधानी लखनऊ के एक पॉश अपार्टमेंट में एक वृद्ध दम्पत्ति का कत्ल हो गया. कातिलों ने दम्पत्ति का गला कटा, साथ ही उनके पेट को चाकुओं से गोद डाला. सूचना राजधानी में जंगल की आग की तरह फैली. मौके पर कई थानों की पुलिस के साथ आला अफसर पहुंचे, इधर मीडियाकर्मी भी अपार्टमेंट पहुंच चुके थे. दोनों ने अपनी तफ्तीश शुरू की. इस बीच दो मीडियाकर्मी कम्पाउंड में खड़ी सैंट्रो को ध्यान से देख रहे थे. दरअसल यह सैंट्रो उसी दम्पत्ति की थी।
पहला- यार देखो ड्राइविंग सीट के पीछे बैग में थर्मस है।
दूसरा- बूढ़े थे, कहीं आने जाने के लिए गर्म पानी आदि रखते होंगे. लेकिन एक बात है कार बिलकुल नई लग रही है।
पहला- यहीं बगल के शोरूम से खरीदी होगी
दूसरा- पता नहीं कैश खरीदी होगी या इंस्टालमेंट पर, इंस्टालमेंट पूरी तो हुई नहीं होगी।
पहला- अबे, कैश खरीदी होगी।देख नहीं रहे, कितने पैसे वाले थे। रूम में देखा, 'बार' बना रखी है। कोई बोतल हजार रुपए से कम नहीं है।
दूसरा- हां, यार पैसा तो मजबूत था. गुरु लेकिन एक बात बताओ ये सैंट्रो कैसे मिलेगी?
पहला- साले, बहुत कमीने हो, अगले की जान चली गई और तुम सैंट्रो के जुगाड़ में हो।
दूसरा- फालतू का ज्ञान न बताओ. ये बताओ हम पत्रकारों की कोई पर्सनल लाइफ है क्या? नहीं है न, तो प्रोफेशनल लाइफ में पर्सनल डीड की बात करना क्या गलत है? आज सनडे के दिन कत्ल हुआ है. सभी रिपोर्टर्स को देखो, मन ही मन कितना खुश हैं, बाहर से गंभीरता दिखा रहे हैं. हर कोई बाइलाइन ढूढ़ रहा है. सबके चेहरे पर एक आत्मविश्वास दिख रहा है कि आज तो पैकेज तय. तो क्या सब कमीने नहीं. मैंने सैंट्रो के बारे में पूछ लिया तो क्या गलत है. कितने दिनों से कोशिश कर रहा हूंखरीदने की। यही सच्चाई है दोस्त, मानो या न मानो।
पहला- ये तो सही बात है। अपनी तो कोई लाइफ नहीं। लेकिन देखो हम तो फिर ठीक हैं. बालकानी की तरफ देखो, सब इस दम्पत्ति के रिश्तेदार हैं, लेकिन दोनों की लाश उठाने को कन्धा देने वाला कोई नहीं. क्या कहें.
पहला- यार देखो ड्राइविंग सीट के पीछे बैग में थर्मस है।
दूसरा- बूढ़े थे, कहीं आने जाने के लिए गर्म पानी आदि रखते होंगे. लेकिन एक बात है कार बिलकुल नई लग रही है।
पहला- यहीं बगल के शोरूम से खरीदी होगी
दूसरा- पता नहीं कैश खरीदी होगी या इंस्टालमेंट पर, इंस्टालमेंट पूरी तो हुई नहीं होगी।
पहला- अबे, कैश खरीदी होगी।देख नहीं रहे, कितने पैसे वाले थे। रूम में देखा, 'बार' बना रखी है। कोई बोतल हजार रुपए से कम नहीं है।
दूसरा- हां, यार पैसा तो मजबूत था. गुरु लेकिन एक बात बताओ ये सैंट्रो कैसे मिलेगी?
पहला- साले, बहुत कमीने हो, अगले की जान चली गई और तुम सैंट्रो के जुगाड़ में हो।
दूसरा- फालतू का ज्ञान न बताओ. ये बताओ हम पत्रकारों की कोई पर्सनल लाइफ है क्या? नहीं है न, तो प्रोफेशनल लाइफ में पर्सनल डीड की बात करना क्या गलत है? आज सनडे के दिन कत्ल हुआ है. सभी रिपोर्टर्स को देखो, मन ही मन कितना खुश हैं, बाहर से गंभीरता दिखा रहे हैं. हर कोई बाइलाइन ढूढ़ रहा है. सबके चेहरे पर एक आत्मविश्वास दिख रहा है कि आज तो पैकेज तय. तो क्या सब कमीने नहीं. मैंने सैंट्रो के बारे में पूछ लिया तो क्या गलत है. कितने दिनों से कोशिश कर रहा हूंखरीदने की। यही सच्चाई है दोस्त, मानो या न मानो।
पहला- ये तो सही बात है। अपनी तो कोई लाइफ नहीं। लेकिन देखो हम तो फिर ठीक हैं. बालकानी की तरफ देखो, सब इस दम्पत्ति के रिश्तेदार हैं, लेकिन दोनों की लाश उठाने को कन्धा देने वाला कोई नहीं. क्या कहें.
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