और कितने सबूत
LUCKNOW : जिंदगी भर कमाने के पीछे दौड़ते रहे. जो कमाया, वो भी लुटा चुके हो. अब कितना जिओगे? 10 साल या 15 साल. कम से कम अंतिम समय तो मुल्क की खिदमत करो. मर गए तो शहीद. तुम्हारी फैमिली की जिम्मेदारी हमारी. तुम्हारी बेटी और बहन को 10-10 हजार रुपए हर महीने मिलते रहेंगे, साथ ही तुम्हारे एकाउंट में 15,000 रुपए हर महीने पहुंच जाया करेगा. तुम जहां भी रहोगे, एक फोन करो, तुम्हें सब प्रोवाइड करा दिया जाएगा. पाकिस्तानी नेवी के मेजर राना ने जब अब्दुल जब्बार उर्फ सिकन्दर को यह ऑफर दिया तो वह खुद को रोक नहीं सका. महीनों की कड़ी ट्रेनिंग के बाद उसे पहले मिशन पर इंडिया भेजा गया. सात दिन की रिमांड पर लिए गए पाकिस्तानी एमआई एजेंट अब्दुल जब्बार ने बुधवार को सुरक्षा एजेंसियों को जो जानकारियां दीं, उनसे पता चला कि पाकिस्तानी सेना, इंडिया में कितनी गहरी पैठ बना चुकी है. दिन भर आईबी, नेवल इंटेलिजेंस और आर्मी इंटेलिजेंस की टीमें जब्बार से इंट्रोगेशन कर महत्वपूर्ण जानकारियां इकट्ठी करती रहीं.
सूत्रों के अनुसार जब्बार ने रिमांड के पहले चौबीस घंटों में जो जानकारियां दीं, उनमें पता चला कि 2007 से पहले जब्बार ड्राई फ्रूट का व्यापार करता था. इस सिलसिले में वह कई देशों की यात्रा कर चुका था. 1988, 1991, 1992 और 2002 में बतौर व्यापारी लीगल तरीके से इंडिया आया. 2002 के बाद वह शेयर मार्केट में ब्रोकर बन गया. पाकिस्तान में छाई मंदी का असर उस पर भी पड़ा और आखिरकार उसका पूरा पैसा डूब गया. पैसा डूबने के बाद वह दर-ब-दर भटक रहा था. इस दौरान उसकी मुलाकात एक शख्स से हुई, जिसने उसकी पूरी व्यथा सुनने के बाद कहा कि मेरे साथ चलो, कुछ नेक काम तुमसे कराता हूं.
इसके बाद उसकी मुलाकात पाकिस्तानी नेवी के मेजर राना और मेजर इरफान से हुई. उन्होंने उसे बताया कि कुछ महीनों की ट्रेनिंग के बाद ही वह देश का सिपाही बन जाएगा. जब्बार को बताया गया था कि मरने से पहले कम से कम मुल्क के लिए कुछ कर जाओ. तुम्हारी बहन और बेटी की जिम्मेदारी हमारी. इस दौरान उसे पाकिस्तानी सेना के पीटी अफसर सत्तार ने आठ महीने की कड़ी इंटेलिजेंस ट्रेनिंग दी. जब्बार ने बताया कि ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उसे पहले मिशन पर दिसम्बर में इंडिया भेज दिया गया.
वह काठमांडू अपने पासपोर्ट पर ही आया. यहां पासपोर्ट छोड़कर वह इंडिया में सड़क के रास्ते दाखिल हो गया. उसने बताया कि उससे कहा गया था मिशन पूरा होते ही, वह इसी रास्ते से काठमांडू चला आए यहां अपने पासपोर्ट से वापस वतन लौट आए. इंडिया में प्रवेश के दौरान उसके पास कुछ सौ रुपए ही जेब में थे. इंडिया आने के बाद उसने पीसीओ से अपने आकाओं से सम्पर्क किया और हवाला के रास्ते उसे पैसा दे दिए गए. इनसे सबसे पहले उसने कपड़े खरीदे. इसके बाद अपने टार्गेट लखनऊ कैण्ट की ओर रवाना हो गया. यहां काम पूरा करने के बाद उसकी तैयारी मुम्बई जाने की थी. यहां भी वह सब कुछ छोड़कर खाली हाथ ही मुम्बई जाने वाला था और वहां पहुंचते ही वह पहले कपड़े ही खरीदता.
पता चला कि जब्बार को रोज शराब और नॉनवेज खाने का शौक है. कोई दिन ऐसा नहीं जाता, जब वह पेग नहीं लगाता. इंटरोगेशन के दौरान पुलिस अफसरों से भी वह कई बार सिगरेट की मांग कर चुका है. कहता है जिंदगी में कभी सिगरेट के बिना इतना समय नहीं गुजारा.
जब्बार के अनुसार इंडिया के मोस्ट वांटेड टेररिस्ट दाऊद इब्राहिम से भी वह मिल चुका है. यह मुलाकात सेना के अफसरों ने कराई थी. दाऊद की पाकिस्तानी सेना के बड़े-बड़े अफसरों से अच्छा व्यवहार है. उसे इंडिया कभी नहीं पकड़ सकता. दाऊद को पूरी पाकिस्तानी सेना का सपोर्ट हासिल है.
उसने बताया कि दिल्ली में पाकिस्तान से आई कई व्यापारी महिलाएं जासूसी करती हैं. वह निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के आसपास के एरिया में बनी लॉज या सस्ते होटल में रहती हैं. पेशे से वह ड्राई फ्रूट या किसी और चीज का व्यापार करने इंडिया आती हैं. लेकिन जितने भी दिन वह रहती हैं, सूचनाएं इकट्ठी करती रहती हैं. इस दौरान उस जैसे कई और जासूस हैं, जो अपनी इकट्ठा की गई डिटेल्स इन महिलाओं के माध्यम से भेजते हैं.
सूत्रों के अनुसार जब्बार ने रिमांड के पहले चौबीस घंटों में जो जानकारियां दीं, उनमें पता चला कि 2007 से पहले जब्बार ड्राई फ्रूट का व्यापार करता था. इस सिलसिले में वह कई देशों की यात्रा कर चुका था. 1988, 1991, 1992 और 2002 में बतौर व्यापारी लीगल तरीके से इंडिया आया. 2002 के बाद वह शेयर मार्केट में ब्रोकर बन गया. पाकिस्तान में छाई मंदी का असर उस पर भी पड़ा और आखिरकार उसका पूरा पैसा डूब गया. पैसा डूबने के बाद वह दर-ब-दर भटक रहा था. इस दौरान उसकी मुलाकात एक शख्स से हुई, जिसने उसकी पूरी व्यथा सुनने के बाद कहा कि मेरे साथ चलो, कुछ नेक काम तुमसे कराता हूं.
इसके बाद उसकी मुलाकात पाकिस्तानी नेवी के मेजर राना और मेजर इरफान से हुई. उन्होंने उसे बताया कि कुछ महीनों की ट्रेनिंग के बाद ही वह देश का सिपाही बन जाएगा. जब्बार को बताया गया था कि मरने से पहले कम से कम मुल्क के लिए कुछ कर जाओ. तुम्हारी बहन और बेटी की जिम्मेदारी हमारी. इस दौरान उसे पाकिस्तानी सेना के पीटी अफसर सत्तार ने आठ महीने की कड़ी इंटेलिजेंस ट्रेनिंग दी. जब्बार ने बताया कि ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उसे पहले मिशन पर दिसम्बर में इंडिया भेज दिया गया.
वह काठमांडू अपने पासपोर्ट पर ही आया. यहां पासपोर्ट छोड़कर वह इंडिया में सड़क के रास्ते दाखिल हो गया. उसने बताया कि उससे कहा गया था मिशन पूरा होते ही, वह इसी रास्ते से काठमांडू चला आए यहां अपने पासपोर्ट से वापस वतन लौट आए. इंडिया में प्रवेश के दौरान उसके पास कुछ सौ रुपए ही जेब में थे. इंडिया आने के बाद उसने पीसीओ से अपने आकाओं से सम्पर्क किया और हवाला के रास्ते उसे पैसा दे दिए गए. इनसे सबसे पहले उसने कपड़े खरीदे. इसके बाद अपने टार्गेट लखनऊ कैण्ट की ओर रवाना हो गया. यहां काम पूरा करने के बाद उसकी तैयारी मुम्बई जाने की थी. यहां भी वह सब कुछ छोड़कर खाली हाथ ही मुम्बई जाने वाला था और वहां पहुंचते ही वह पहले कपड़े ही खरीदता.
पता चला कि जब्बार को रोज शराब और नॉनवेज खाने का शौक है. कोई दिन ऐसा नहीं जाता, जब वह पेग नहीं लगाता. इंटरोगेशन के दौरान पुलिस अफसरों से भी वह कई बार सिगरेट की मांग कर चुका है. कहता है जिंदगी में कभी सिगरेट के बिना इतना समय नहीं गुजारा.
जब्बार के अनुसार इंडिया के मोस्ट वांटेड टेररिस्ट दाऊद इब्राहिम से भी वह मिल चुका है. यह मुलाकात सेना के अफसरों ने कराई थी. दाऊद की पाकिस्तानी सेना के बड़े-बड़े अफसरों से अच्छा व्यवहार है. उसे इंडिया कभी नहीं पकड़ सकता. दाऊद को पूरी पाकिस्तानी सेना का सपोर्ट हासिल है.
उसने बताया कि दिल्ली में पाकिस्तान से आई कई व्यापारी महिलाएं जासूसी करती हैं. वह निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के आसपास के एरिया में बनी लॉज या सस्ते होटल में रहती हैं. पेशे से वह ड्राई फ्रूट या किसी और चीज का व्यापार करने इंडिया आती हैं. लेकिन जितने भी दिन वह रहती हैं, सूचनाएं इकट्ठी करती रहती हैं. इस दौरान उस जैसे कई और जासूस हैं, जो अपनी इकट्ठा की गई डिटेल्स इन महिलाओं के माध्यम से भेजते हैं.
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