कलाम को आखिरी सलाम
वो जा रहा है घर से जनाजा बुजुर्ग का
आँगन में एक दरख़्त पुराना नहीं रहा...
कहानी ख़त्म हुई और ऐसी ख़त्म हुईकि लोग रोने लगे तालियाँ बजाते हुए...
आँगन में एक दरख़्त पुराना नहीं रहा...
कहानी ख़त्म हुई और ऐसी ख़त्म हुईकि लोग रोने लगे तालियाँ बजाते हुए...
हर किसी के अपने कलाम
इसे कहते हैं नेता, इसे कहते हैं इंसान, इसे कहते हैं राष्ट्रपति, देखो फेसबुक और ट्विटर पर हर पोस्ट बता रही है कि जिंदगी के किसी न किसी पल हर शख्स की यादों में कलाम जीवित हैं, कोई उनके साथ सेल्फी पेश कर रहा है, तो कोई उनसे मुलाकात के पल को शब्दों में पिरो रहा है, हर किसी के पास अपने अपने कलाम हैं. सच में आप ही हैं देश के आम इंसान के राष्ट्रपति, नेता. उम्मीद है हम उनकी बातों सीखों को अपने जीवन में अमल में लाएंगे, यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
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