हां, कुछ फोटो फ्रेम भी बचे हैं,
वो गारा वो पत्थर याद है तुम्हें कभी मिलके हमने जोड़ा था आशियाना बनाया था वो तस्वीर याद है तुम्हें बड़ी खुशी से खिंचवाई थी हमने वो घड़ी जो उस साल मेले से खरीद के लाई थी आज भी टंगी है, मगर रुक गई है अब भी उसमें वही समय बज रहा है जब कहर बरपा था हम पर तुम चली गईं, सब बिखर गया हां, कुछ फोटो फ्रेम भी बचे हैं, मगर खाली-खाली से बिखरे-बिखरे से।