चले थे तीर से लालटेन फोड़ने, ससुरी कमान ही जल गई
चुन्नू भाई - अमां विजय, बड़े कमजोर लग रहे हो, सुना है भौजाई मेहनत बहुत कराती हैं. हा, हा, हा, अरे पुत्तू जरा बढ़िया चाय बनाओ और हां राजू के यहां जरा दो पान बोल दो, 64, 32 किमाम इलायची और देखना चूना बोल देना कम लगाएगा. साला कल से मुंह काट दिहिस है. और सुनाओ पुच्चू भाई कहां गुमसुम हो.
पुच्चू तिवारी- अबे गुमसुम नहीं है, तुम्हें देख रहे हैं बड़े तफरीह के मूड में दिख रहे हो. साले कल तक तो मसाला फाड़ते थे, ये पान कहां से शुरू कर दिया.
चुन्नू- अमां, दूरियों से प्यार बढ़ता है, इसीलिए कुछ दिन के लिए गुटखा से दूरी बना ली है, कुछ दिन बाद खाएंगे तो ज्यादा मजा देगा.
पुच्चू- हां, ये तो सही कह रहे हो तुम देखो बिहार में गुटखा वापस खाने की तैयारी है.
चुन्नू- अमां क्या-क्या बोलते रहते हो, ये बिहार कहां से आ गया.
पुच्चू- इसीलिए कहते हैं अनुभव की कमी है तुममें. कॉमन सेंस इज नॉट अ वैरी कॉमन थिंग.
चुन्नू- हां, तुम हीं तो काबिल हो, अब ज्ञान बखारोगे.
पुच्चू- अरे, बिहार में देखा नहीं कभी साथ रहने वाले लालू और नीतीश एक बार फिर साथ हो गए हैं. मतलब गुटखा वापस खाने की तैयारी है कि नहीं, कई साल हो गए थे पान खाते हुए.
चुन्नू- हाहाहा, वाकई दिमाग तो करेंट की तरह दौड़ाते हो मियां. यहां से वहां, वहां से यहां.
पुच्चू- मैं तो कह रहा हूं कि राजनीति में जो इंटरटेनमेंट है गुरू, वह किसी में नहीं. जो राजनेता वो शानदार अभिनेता, परदे पर ढिशुम-ढिशुम, चुम्मा चाटी और परदे के बाहर ऐश की जिंदगी. और हम लोग आम जनता पैसा खर्च कर उनका एंटरटेनमेंट देखते हैं, हंसते हैं और हॉल के बाहर आकर फिर वही सड़ी सी जिंदगी.
चुन्नू- साफ-साफ बताओ, दार्शनिकता न दिखाओ.
पुच्चू- भाई अभी 16 मई को ही तो परिणाम आया है न चुनाव में कितने दिन गए. चुनाव में नीतीश कहते थे तीर चलाकर फोड़ दो लालटेन. चुनाव परिणाम आए तो लालू तो फिर गमछा कमाने में कामयाब रहे, नीतीश तो नंगे हुई गए. आव देखा न ताव कहिन नैतिकता के आधार पर इस्तीफा. और नैतिकता की ऐसी परिभाषा गढ़ी कि उन्हीं की पार्टी ने मुख्यमंत्री बदलकर सत्ता अपने पास ही रखी. क्या गजब नैतिकता है. नेतागिरी कोई इनसे सीखे. दो दिन बाद मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया गया. अमां सब जानते हैं कि नीतीश और शरद यादव के अलावा पार्टी में कोई नहीं. मांझी का नाम सुने थे कभी. खैर, दुनिया में जितने काबिल हैं, वो ये सोचते हैं कि सिर्फ वो ही सोचते हैं, दिक्कत ये है कि दुनिया में सभी सोचते हैं.
नीतीश की चकड़ई लालू तड़े हुए थे, नीतीश सोच रहे थे कि वो काबिल, लालू ने मौके पर चोट मार दी. नया मुख्यमंत्री देख, पैंतरा बदला और कह दिया बिहार सरकार को आरजेडी का पूरा समर्थन है, वो भी बिना शर्त. देखने वाले जो भी कहें लालू ने इस मौके का शानदार फायदा उठा लिया. उसने अपने वोटरों को पूरा भरोसे में रखा है कि भाजपा के खिलाफ वह किसी के साथ भी जाने को तैयार है. भई लालू इसी की तो खाते हैं. देख लेना अगले विधानसभा चुनाव में एक तरफ भाजपा और दूसरी तरफ लालू नजर आएंगे.
चुन्नू- और नैतिकतावादी नीतीश?
पुच्चू- वो चले थे तीर से लालटेन फोड़ने, ससुरी कमान ही जल गई. देखो भइया ये नैतिकता की बातें करके बेवकूफ किसी और को बनाओ, अब वो दिन लद गए, जब किसी के नाम से उसे वोट मिलते थे, अब तो लौंडों बोले तो जेनएक्स का जमाना है. समझ में नहीं आएगा तो उतारकर जमीन पर पटक देंगे, चाहे कितने भी नैतिक होवो. बताओ तो केजरीवाल की शुरू करें.
चुन्नू- अमां भगाओ भाई, उंह हूं, पान का मजा किरकिरा न करो.
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