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‘याद रखना हम न तो भूलते हैं न ही माफ करते हैं.’

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- पेशावर आतंक के बाद करुणा में डूबे एक देश को याद दिलाने की कोशिश अजयेंद्र राजन कुछ समय पहले मैंने एक मूवी देखी थी, नाम था म्यूनिख. ये फिल्म उस देश की इच्छाशक्ति और कभी हार नहीं मानने के उन कदमों को रेखांकित करती है, जिसमें वह आतंकियों के घर फूल भेजता है और लिखकर देता है, ‘याद रखना न हम भूलते हैं न ही माफ करते हैं.’  ये उस देश की कहानी थी, जिसने आतंकवाद का दंश हमारी तरह ही झेला और आज भी झेल रहा है लेकिन वह भावनाएं किनारे रखकर पूरी रणनीति और सजगता के साथ इसका मुकाबला कर रहा है. इजरायल. जी हां, चलिए आपको बताते हैं कि आतंकवाद से लड़ने की रणनीति और इच्छाशक्ति कहते किसे हैं, फिल्म के बाद विकीपीडिया से काफी तथ्य मिले, जिन्हें आपसे शेयर कर रहा हूं. 1972 के म्यूनिख ओलिंपिक्स में फिलिस्तीन के आतंकवादी संगठन ब्लैक सेप्टेंबर और फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (पीएलओ) के ग्रुप ने इजरायल की ओलिंपिक टीम के 11 सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया. इसके जवाब में इजरायल ने मोसाद के निर्देशन में एक गुप्त ऑपरेशन शुरू किया, जिसे हम रैथ ऑफ गॉड (ईश्वर का कहर) या ऑपरेशन बायोनेट (ऑपरेशन कोप) भी कहते हैं...