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Showing posts from January, 2014

यह हार एक विराम है

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यह हार एक विराम है जीवन महासंग्राम है तिल-तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं। वरदान माँगूँगा नहीं। स्‍मृति सुखद प्रहरों के लिए अपने खंडहरों के लिए यह जान लो मैं विश्‍व की संपत्ति चाहूँगा नहीं। वरदान माँगूँगा नहीं। क्‍या हार में क्‍या जीत में किंचित नहीं भयभीत मैं संधर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही। वरदान माँगूँगा नहीं। लघुता न अब मेरी छुओ तुम हो महान बने रहो अपने हृदय की वेदना मैं व्‍यर्थ त्‍यागूँगा नहीं। वरदान माँगूँगा नहीं। चाहे हृदय को ताप दो चाहे मुझे अभिशाप दो कुछ भी करो कर्तव्‍य पथ से किंतु भागूँगा नहीं। वरदान माँगूँगा नहीं।    -शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ (People) The childhood. (Photo by Antonio Gibotta/National Geographic Photo Contest)

ये वो गैरजरूरी...

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गर मौत से मुलाकात के इंतजार में हो तो अपने बैंक एकाउंट पर गौर करना देखो जितना भी रुपया पड़ा है न ये वो गैरजरूरी अतिरिक्त काम था, जो तुमने किया Going Solo Photograph by Jimmy Chin, National Geographic Determined to finish a new route, superclimber Alex Honnold dangles from an overhang on Oman's Musandam Peninsula. After pushing as far as possible on the rock, a deepwater solo climber simply lets go.

‘अच्छा इंसान’ को ‘सफलता’ से जोड़ता गया

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मां के सहारे चलकर जीना सीखता गया  फिर धीरे-धीरे उनकी उम्मीदों पर सवार होता गया वो कहती रहीं कि इंसान हो ‘अच्छा इंसान’ ही बनना बेटा मैं नामुराद ‘अच्छा इंसान’ को ‘सफलता’ से जोड़ता गया- अजयेंद्र राजन  The Pilgrim Bride Photograph by  Shahnewaz Karim , National Geographic Your Shot   "A newlywed bride waits for her husband before boarding the special train in Kamlapur Railway Station in Dhaka, Bangladesh," writes Your Shot contributor Shahnewaz Karim of this picture chosen for publication in the Spontaneous Adventure  assignment. "The  mehendi  in her hand is still showing as the light seeps through the roof and the people 'seated' there for the journey. This pilgrimage home is to enjoy the Eid festival with family."

दुनिया बेईमान हो गई

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कौन कहता है दुनिया बेईमान हो गई मैंने बस इस बच्चे को देख लिया है