सौगात खुशियों की मेरी चौखट पर आई है
सौगात खुशियों की मेरी चौखट पर आई है हां मेरे घर एक प्यारी सी बेटी आई है सितारे रंज में है देखकर नूर उसका बनकर मेहताब वह मेरे घर आई है सुना करते थे मां से फलक पर परिया होती है हकीकत तब लगी जब वह मेरे सामने आई है वह इज्जत है मेरे घर की चरागा है जमाने का वह 'जहरा' है, यह नाम मेरी इज्जत अफजाई है निगाहें हटती ही नहीं उसके चेहरे से 'अब्बास' बनकर आईना वह मेरे घर पर आई है....