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raat abhi baaki hai

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खूबसूरत चाहे जितना भी दिखें पर ये भी सच है कि  शेर कभी पालतू नहीं होते जीने कि उमंग, मस्ती की तरंग  बेफिक्र अंदाज क्योंकि मै आजाद हूँ आज आजादी कि खुशबू मिलते ही झूम उठा है ये घोडा  और हम है कि मिली आजादी को  kabhi काम के नाम पे, कभी आराम के नाम पे कभी हक के नाम पे, तो कभी बदले के नाम पे  कहीं खोते जा रहे हैं...  आजाद होने का सिर्फ नाटक करते जा रहे हैं एक पुराना मौसम लौटा याद भरी तन्हाई भी  ऐसा तो कम ही होता है  वो भी हो तन्हाई भी  हम बेखुदी में तुम को पुकारे चले गए  सारे वो जिंदगी के सहारे चले गए